scriptभूल को सुधारो, शूल मत बनने दो: डॉ. संमकित मुनि | Correct the mistake, do not let it become a pain: Dr. Sankrit Muni | Patrika News
बैंगलोर

भूल को सुधारो, शूल मत बनने दो: डॉ. संमकित मुनि

शूले स्थानक में प्रवचन

बैंगलोरJul 10, 2020 / 04:51 pm

Santosh kumar Pandey

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बेंगलूरु. अशोक नगर शूले के स्थानक में डॉ. संमकित मुनि ने समकित की यात्रा प्रवचन माला केअंतर्गत कहा कि परमात्मा ने ऐसी बत्तीस बातें बतायी है जिन का आचरण करने से जीवन सुहाना बन सकता है। एक दो बाद हमारे जीवननिर्माण में सहयोगी बन सकती है। समकित की यात्रा के अंतरगत प्रतिदिन बतीस सूत्रों में से एक एक सूत्र पर चर्चा होगी।
पहला सूत्र बताया आलोचना। मुनि ने कहा कि स्वयं की कमी को श्रेष्ठजनों समक्ष प्रकट करना आलोचना है। आलोचना फरिश्ता बनने का मार्ग है। गलती स्वीकार करना यानी आत्मा के विकार समाप्त करना।
मुनि ने कहा भूल को नहीं सुधारते तो भूल, शूल बनती है।
गलती होना बड़ी बात नहीं उसे स्वीकारना बहुत बड़ी बात है। स्वयं की गलती को देखना यानी भगवान बनने के रास्ते पर आगे बढऩा। भूल को स्वीकार करने का लाभ बताते हुए मुनि ने कहा कि भीतर में दीपक जलता है,जिससे भीतर का सारा तम ख़त्म होता है। भीतर का तम ख़त्म होते ही भीतर के प्रीतम से मुलाक़ात हो जाती है। भीतर के प्रीतम से मिलन हो गया तो जिंदगी के सारे सितम ख़त्म हो जाते हैं।
प्रचार प्रसार चेयरमैन प्रेमचंद कोठारी ने बताया कि इस मौके पर महिला अध्यक्ष चंचल बाई चोपड़ा, संतोष बाई कोठारी, वसंता बाई दूधेडिया प्रेमा बाई कोठारी आदि श्राविका मंडल उपस्थित थे। संचालन संघ के मंत्री मनोहर लाल बम्ब ने किया। मुनि के प्रवचनों को फेसबुक व यू ट्यूब पर प्रसारित किया जा रहा है।

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