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बैंगलोर

अदालत में दायर करेंगे अवमानना याचिका

कर्नाटक राज्य अनुदान रहित स्कूल-कालेज शिक्षक एवं गैर शिक्षक संघ ने कहा है कि अनुदान रहित स्कूल-कालेजों में कार्यरत शिक्षकों को न्यूनतम मूल वेतन तथा स्वास्थ्य सुरक्षा अनिवार्य देने के अदालत के फैसले की अब तक पालना नहीं की गई।

बैंगलोरSep 03, 2018 / 06:17 am

शंकर शर्मा

अदालत में दायर करेंगे अवमानना याचिका

अदालत में दायर करेंगे अवमानना याचिका

हुब्बल्ली. कर्नाटक राज्य अनुदान रहित स्कूल-कालेज शिक्षक एवं गैर शिक्षक संघ ने कहा है कि अनुदान रहित स्कूल-कालेजों में कार्यरत शिक्षकों को न्यूनतम मूल वेतन तथा स्वास्थ्य सुरक्षा अनिवार्य देने के अदालत के फैसले की अब तक पालना नहीं की गई। इसे लेकर अदालत में अवमानना याचिका दायर की जाएगी।

शहर के पत्रकार भवन में शनिवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में धारवाड़ जिला अनुदान रहित अंग्रेजी मीडियम स्कूल कर्मचारी कल्याण संघ की अध्यक्ष भारती पाटील ने कहा कि 1 दिसम्बर 2008 में न्यूनतम मूल वेतन तथा सेवा सुरक्षा देने का आदेश जारी कर संबंधित शिक्षण संस्थाओं में इसे क्रियान्वित करने के निर्देश दिए थे।


उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पांचवें वेतन आयोग के तहत (2001-2011) को न्यूनतम मूल वेतन श्रेणी को प्राथमिक स्कूलों में 6 6 00 रुपए, माध्यमिक स्कूल में 8 8 00, वर्ष 2012 से 2017 तक प्राथमिक स्कूल में 136 00 तथा माध्यमिक स्कूल में 17,6 50 रुपए देने चाहिए। इस वेतन को व्यक्तिगत चेक या फिर बैंक खाते के जरिए सीधे तौर पर नियमानुसार जमा करना चाहिए। अन्य भत्ता दैनिक भत्ता, किराए के घर का भत्ता, शहरी मुआवजा भत्ता, वार्षिक वेतन पदोन्नती, सामान्य भविष्य निधि, ईएसआई तथा ग्रेच्यूटी को प्रशासन मंडल को ही देना चाहिए।

नियमित दस वर्षों की सेवा पर एक अतिरिक्त वार्षिक पदोन्नति, इसके बाद हर पांच वर्ष में एक बार अतिरिक्त वार्षिक पदोन्नति देनी चाहिए। सरकारी तथा अनुदानित स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति नियमानुसार अनुदान रहित शिक्षण संस्थाओं में भी शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए।

नियमानुसार अस्थाई तथा स्थाई शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देना चाहिए। दो वर्षों की सेवा पूरी करने के बाद स्थाई नियुक्ति पत्र देना चाहिए। समय समय पर राज्य सरकार के वेतन श्रेणी में संशोधन करने पर प्रशासन मंडल को नए वेतन श्रेणी को लागू करना चाहिए। सरकारी कर्मचारियों की तरह सेवानिवृत्ति की आयु 6 0 वर्ष होनी चाहिए। पहले ही साक्षात्कार देकर नियुक्त होकर सेवा दे रहे शिक्षकों का दुबारा साक्षात्कार नहीं करना चाहिए।

स्थाई शिक्षकों को कई कारणों से सेवा से हटाना या फिर अनुशानात्मक कार्रवाई करने से पूर्व नियमानुसार शिक्ष विभाग के ध्यान में लाना चाहिए। कारण बताओ नोटिस देकर सुनवाई करनी चाहिए। अचानक कर्मचारियों को निलंबित नहीं करना चाहिए।


उन्होंने कहा कि इन सभी बिन्दुओं को अनुदान रहित शिक्षण संस्थाओं में क्रियान्वित करने के लिए कई आदेशों को विभाग के परिपत्रों को पिछले 13 वर्षों से जारी किया है। इसके बावजूद इन्हें क्रियान्वित नहीं किया है। इस बारे में धारवाड़ जिला अनुदान रहित अंग्रेजी मीडियम स्कूल कर्मचारी कल्याण संघ के पदाधिकारियों ने स्थानीय तथा राज्य स्तर के अधिकारियों को एक हजार से अधिक आवेदन सौंपने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ।

अधिकारियों तथा सरकार की लापरवाही से तंग आकर संघ ने एक अगस्त 2017 को उच्च न्यायालय के धारवाड़ पीठ में सरकार के आदेश को लागू करने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने संपूर्ण सुनवाई करने के बाद एक जून 2018 को अपने अंतिम फैसले में राज्य सरकार को चार माह में आदेश का पालन करने के आदेश दिए हैं।

अदालत के आदेश के बारे में शिक्षा मंत्री, संभाग स्तरीय, तथा राज्य स्तरीय शिक्षा अधिकारियों को अवगत कराया गया है परन्तु अदालत के निर्देश दिए तीन माह बीतने पर भी सरकार ने कोई लिखित आदेश अब तक जारी नहीं किया है। अदालत के आदेश का सम्मान करते हुए राज्य सरकार को शीघ्र संबंधित प्रशासन मंडलों पर कार्रवाई करनी चाहिए वरना सरकार के खिलाफ अदालत की अवमानना की याचिका दायर की जाएगी।


उन्होंने कहा कि 21 जुलाई 2008 को राज्यपत्र के आदेशानुसार अनुदान रहित स्कूलों में न्यूनतम मूलवेतन तथा सेवा सुरक्षा आदेश को नियमानुसार लागू करने के बारे में दस्तावेजों को शिक्षाधिकारी स्कूल का दौरा कर समीक्षा कर पुख्ता करने के बाद स्कूल की मान्यता का नवीनीकरण करना चाहिए परन्तु शिक्षा अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर जुड़वां शहर के सौ से अधिक अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की मान्यता का नवीनीकरण किया है। इसके नतीजे में प्रशासन मंडल ने झूठा शपथ पत्र दिया है। गैर कानूनी तौर पर स्कूल की मान्यता नवीकरण करने वाले संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।


कर्नाटक राज्य अनुदान रहित स्कूल-कालेज शिक्षक एवं गैर शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजशेखर मूर्ति ने कहा कि उच्च न्यायालय धारवाड़ पीठ के अंतिम फैसले के आदेश को लागू करना चाहिए। प्रशासन मंडल को सेवा निवृत्त हुए शिक्षकों को नियमानुसार ग्रेच्यूटी देनी चाहिए।

राज्य सरकार को अनुदान रहित स्कूल शिक्षकों को भी न्यूनतम प्रतिशत वेतन अनुदान देने के लिए वार्षिक बजट में आरक्षित करना चाहिए। एकरूप शिक्षा के तहत निजी शिक्षण संस्थाओं का राष्ट्रीकरण करना चाहिए। सेवा निवृत्त शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों को दुबारा नियुक्त नहीं करना चाहिए।
संवाददाता सम्मेलन में हरिश एन, आर. रंजन समेत कई उपस्थित थे।

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