अस्पतालों पर दबाव बढ़ने की संभावना कम
संक्रमितों की संख्या बढ़ने पर अस्पतालों पर दबाव बढ़ सकता है। स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडूराव और चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. शरण प्रकाश पाटिल के अनुसार विशेषकर सरकारी अस्पताल किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। निजी अस्पतालों को भी पूरी तैयारी रखने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, कोविड मरीजों के उपचार में लगे ज्यादातर चिकित्सकों ने अस्पतालों में भर्ती होने वाले संक्रमितों की संख्या कम रहने की संभावना जताई है। ज्यादातर मरीजों को हल्के से मध्यम लक्षण हैं और तेजी से स्वस्थ हो रहे हैं।
अन्य कारणों से आए थे अस्पताल
विक्टोरिया अस्पताल में औषधि विभाग के प्रमुख डॉ. रवि ने बताया कि विक्टोरिया अस्पताल में सात कोविड मरीज जबकि वाणी विलास अस्पताल में तीन मरीज भर्ती हैं। ज्यादातर मरीजों को संयोगवश सकारात्मक पाया गया। सीओपीडी, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और तपेदिक आदि के कारण ये मरीज अस्पताल पहुंचे थे। नियमित जांच में कोविड पॉजिटिव निकले। ऐसे मरीजों को आइसीयू में भर्ती कर उपचार करना पड़ रहा है। ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है। उनकी अन्य बीमारियों का इलाज किया जा रहा है।
फ्लू जैसे लक्षण अधिक
आइसीयू में मरीजों की टेली-मॉनिटरिंग टीम के डॉ. अनूप अमरनाथ ने कहा, मरीजों के लक्षण हल्के हैं। पहले की तरह ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ रही है। हम ऊपरी और निचले श्वसन तंत्र में संक्रमण के साथ-साथ गले में खराश के लक्षण देख रहे हैं। जिन लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता है, उनमें सह-रुग्णताएं हैं और वे ऑक्सीजन पर हैं, लेकिन वे भी काफी हल्के मामले हैं और उन्हें कम अवधि तक रहने की आवश्यकता है। दूसरी लहर के दौरान, हमने फेफड़ों की गंभीर क्षति और रक्त के थक्के जमने की समस्या देखी, लेकिन उसके बाद, हम फ्लू जैसे अधिक लक्षण देख रहे हैं।
अतिरिक्त सावधानी की जरूरत
उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस से प्रभावित होने वाला सबसे आम आयु वर्ग बुजुर्ग आबादी है, खासकर वे जिनकी उम्र 50 वर्ष से अधिक है और जिन्हें पहले से अन्य बीमारियां हैं। ऐसे में अतिरिक्त सावधानी की जरूरत है।