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बैंगलोर

फसल बीमा योजना घोटाले की सीबीआइ जांच की मांग

इसके कारण किसान और अधिक संकट में फंस गए हैं, लिहाजा इसकी सीबीआइ से जांच करवाई जाए

बैंगलोरSep 05, 2018 / 05:39 pm

Ram Naresh Gautam

congress

फसल बीमा योजना घोटाले की सीबीआइ जांच की मांग

बेंगलूरु. कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर खंड्रे ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में हुए कथित घोटाले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) से जांच मांग की है। खंड्रे ने मंगलवार को संवादादाता सम्मेलन में कहा कि यह योजना किसानों की सुविधा के लिए है, लेकिन इससे निजी बीमा कंपनियां ही लाभ उठा रही हैं। इसके कारण किसान और अधिक संकट में फंस गए हैं, लिहाजा इसकी सीबीआइ से जांच करवाई जाए।
उन्होंने कहा कि 2017 से 2019 तक की अवधि के लिए केन्द्रीय बजट में फसल बीमा योजना के लिए 13 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, लेकिन इसका सारा लाभ निजी बीमा कंपनियों ने उठाया है और किसानों को इस योजना से बिल्कुल ही लाभ नहीं हुआ है। किसानों का का भला करने का दम भरने वाली केन्द्र सरकार परोक्ष रूप से बीमा कंपनियों को फायदा पहुंचाने में लगी है।

वेणुगोपाल सुलझाएंगे नेताओं के मतभेद
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी की बेलगावी जिला इकाई में नेताओं के बीच उभरे मतभेद प्रदेश प्रभारी के.सी. वेणुगोपाल दूर करेंगे। मंत्री रमेश जारकीहोल्ली के शहरी निकाय चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में खड़ा करके जिताने के कदम का उन्होंने समर्थन किया। कहा कि निर्दलीयों को खड़ा करके जिताना एक समान्य बात है और इसमें विशेष अर्थ नहीं है। इसके अलावा पार्टी में यदि किसी तरह का विवाद है तो उसे वरिष्ठ नेता दूर करेंगे।

भाजपा ने की मानीपाड़ी की रिपोर्ट पेश करने की मांग
बेंगलूरु. भाजपा ने कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनवर मानीपाड़ी की रिपोर्ट को विधानमंडल में पेश करने के संबंध में कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करने की राज्य सरकार से मांग की है। विधान परिषद में विपक्ष के नेता कोटा श्रीनिवास पुजारी व राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनवर मानीपाड़ी ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने वक्फ संपत्तियों में अनियमितता के संबध में पेश की गई रिपोर्ट को 30 अगस्त 2018 से लेकर चार सप्ताह के भीतर विधानमंडल में पेश करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा कि गत 30 अगस्त को जारी निर्देश में हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यदि राज्य सरकार कोर्ट द्वारा 10 सितम्बर 2015 को जारी किए गए आदेश का पालन करने में विफल रहती है तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि न्यायालय ने 30 अगस्त 2018 को जारी आदेश में कहा कि राज्य सरकार ने रिपोर्ट को सदन में पेश करने के बारे में अपने खुद के उपक्रम पालन करने में गलती की है। लिहाजा यह प्रथमदृष्टया न्यायिक अवमानना माना जा सकता है। इसके बावजूद यह न्यायालय एक और मौका देते हुए 10 सितम्बर 2015 के आदेश का पालन करने के लिए कुछ और समय देता है। कर्नाटक उच्च न्यायालय का 30 अगस्त 2018 को जारी निर्देश राज्य सरकार के लिए सीख है।
उन्होंने कहा कि भाजपा गठबंधन सरकार को चेतावनी देती है कि यदि रिपोर्ट को विधानमंडल में पेश नहीं किया जाता है तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा। गौरतलब है कि हाई कोर्ट में लिखित आश्वासन के बावजूद मौजूदा गठबंदन सरकार व पिछली कांग्रेस सरकार अनवर मानीपाड़ी की रिपोर्ट के विधानमंडल में पेश करने से मना कर दिया था। पिछली कांग्रेस सरकार ने इस रिपोर्ट को विधान परिषद में पेश करने के संबंध में विधान परिषद के तत्कालीन सभापति डी.एच. शंंकरमूर्ति के आदेश का भी पालन नहीं किया था।

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