सांस्कृतिक आतंकवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि मात्र 70 साल में हमारे मूल विचारों में बहुत गिरावट आ गई है। इन 70 सालों में हम आगे जाने के बजाय बहुत पीछे चले गए हैं। चीन, यूरोप, मलेशिया आदि का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने अपनी संस्कृति को खत्म होने नहीं दिया। वहीं अगर हम अपनी संस्कृति की बात करें लोग हमारे ऊपर प्रश्नचिन्ह लगा देते हैं। हमारी संस्कृति है दूसरों का आदर करना। अगर हम दूसरों का आदर करेंगे तो निश्चित है कि आपको आदर मिलेगा। बंदूक के भय से आप आदर करवा सकते हैं लेकिन भाव से नहीं। भय के की गई पूजा, प्रशंसा ज्यादा समय नहीं टिकती।
अंत में उन्होंने कहा कि राम का सारा जीवन जीवन को जीने के लिए एक सीख है। हमें प्रभु राम का अनुसरण करते हुए जीवन को जीना चाहिए, इससे हमारा कल्याण हो जायेगा।