महिला अधिवेशन में दिया सशक्तिकरण का संदेश
मैसूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ सिद्धार्थनगर में श्रुत मुनि के सान्निध्य में महिला अधिवेशन संपन्न हुआ। त्रिशला महिला मंडल के मंगलाचरण से शुरू अधिवेशन में हनुमंतनगर बेंगलूरु की महिला मंडल ने गीतिका प्रस्तुत की। त्रिशला महिला मंडल ने नाटिका मंचन किया। अधिवेशन में समता महिला मंडल, मुक्ति महिला मंडल बेंगलूरु, पांडवपुरा महिला मंडल चंदनबाला, महिला मंडल गुडलुपेट, राजुल महिला मंडल केजीएफ, हुंसूर महिला मंडल, सुभद्रा महिला मंडल मैसूरु, तेरापंथ महिला मंडल मैसूरु, सुमतिनाथ महिला मंडल मैसूरु, टीएनपुर बहुमंडल, मंडया महिला मंडल, राजुलबहुल मंडल मैसूरु, चेन्नई से भी महिला मंडल की 800 से ज्यादा महिला सदस्याओं ने भाग लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए महिला मंडल अध्यक्ष पुष्पाबाई लोढ़ा, भारतीबाई मेहता, मनीषा भंडारी, चंद्राबाई पोरवाड़, सुनीता नंगावत व अन्य पदाधिकारी सदस्यों ने सहयोग किया। संघ अध्यक्ष संपत कोठारी ने धन्यवाद दिया।
सफलता का आधार धर्म का आचरण
मैसूरु. सुमतिनाथ जैन संघ के महावीर भवन में जैनाचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि जो वस्तु जितनी अधिक दुर्लभ होती है उसके लिए उतनी ही अधिक कीमत चुकानी पड़ती है। महान पुण्य के फलस्वरूप हमें मनुष्य जन्म तो मिल गया, परंतु अब इस जीवन की सफलता का आधार तो जीवन में धर्म का आचरण ही है। धर्म का आचरण, धर्म श्रद्धा के बिना संभव नहीं है, क्योंकि जीवन में व्यवहार में भी हम देखते हैं कि व्यक्ति वह कार्य आरंभ करता है, जिससे उसे लाभ हो। धर्म शब्द का सामान्य अर्थ स्वभाव होता है।