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बैंगलोर

आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट में देरी कोरोना नियंत्रण के आड़े

– लैबों पर बढ़ा बोझ- रिपोर्ट निगेटिव आने तक आइसोलेशन बेहतर

बैंगलोरJan 14, 2022 / 09:41 am

Nikhil Kumar

आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट में देरी कोरोना नियंत्रण के आड़े

बेंगलूरु. कोविड के बढ़ते मामलों के बीच प्रदेश के सरकारी और निजी लैबों पर टेस्टिंग का बोझ बढ़ा है। रिपोर्ट मिलने में देरी संक्रमण नियंत्रण के आड़े आ रही है। स्वास्थ्य विभाग ने लक्षण वाले व जांच के लिए नमूने दे चुके लोगों से रिपोर्ट आने तक खुद को आइसोलेट करने की अपील की है।

50 फीसदी मामले ओमिक्रॉन के!
विशेषज्ञों ने सामने आ रहे मामलों में से 50 फीसदी से ज्यादा के कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित होने के अनुमान लगाया है। राज्य में जीनोम सीक्वेंसिंग के दो ही लैब हैं। कोविड के हर मामले में सीक्वेंसिंग संभव नहीं है। क्योंकि ज्यादातर नमूने सीक्वेंसिंग के न्यूनतम मानदंडों पर खरे नहीं उतरते हैं। ज्यादातर संक्रमित बिना या फिर हल्के लक्षण वाले हैं। नमूनों में वायरल लोड कम है। सीक्वेंसिंग के लिए सीटी (साइकिल थ्रशोल्ड) वैल्यू 25 से कम होनी चाहिए। विशेषज्ञों ने साफ किया है कि कोविड का उपचार वैरिएंट के स्वरूप पर निर्भर नहीं है।

54 हजार से ज्यादा कर्मचारी कर रहे कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग
मरीजों के साथ कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग व जांच सैंपल भी बढ़े हैं। एक से 10 दिसंबर के बीच प्रदेश में कोविड के 56,319 मामले सामने आए हैं। इनके 1,42,951 प्राइमरी व 1,07,606 सेकंडरी कॉन्टैक्ट्स की पहचान हुई है। 56,593 प्राइमरी और 32,632 सेकंडरी कॉन्टैक्ट्स बेंगलूरु से हैं। बेंगलूरु शहरी क्षेत्र में 14,068 सहित राज्य में 54,957 कर्मचारी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में लगे हैं। ऐसे में टेस्टिंग लैबों पर बढ़ते बोझ का अंदाजा लगाया जा सकता है।

70 फीसदी जांच आरटी-पीसीआर
गत वर्ष अगस्त के बाद से कोविड के मामले घट गए थे। लेकिन, दिसंबर में ओमिक्रॉन वैरिएंट के पहले दो मामले सामने आने के बाद से संक्रमितों की संख्या अचानक बढऩी शुरू हो गई। 70 फीसदी से ज्यादा नमूनों की आरटी-पीसीआर जांच होती है। राज्य के 265 लैबों में आरटी-पीसीआर जांच होती है। इनमें 97 लैब सरकारी और 168 लैब निजी हैं। इन लैबों के पास प्रतिदिन करीब 2.20 लाख नमूने जांचने की क्षमता है।

दो घंटे से 12 दिन
एक से नौ जनवरी के बीच इन लैबों ने करीब पौने आठ लाख नमूने जांचे। 56,832 लोगों को देर से रिपोर्ट मिली। जानकारी के अनुसार कुछ लैब रिपोर्ट जारी करने में दो से 48 घंटे तो कुछ 12 दिन तक ले रहे हैं। बेंगलूरु शहरी जिले में 56 फीसदी मामलों में ही रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर उपलब्ध हो पा रही है।
24 घंटे में रिपोर्ट जारी करने का लक्ष्य

स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अमरीका जैसे देशों में भी रिपोर्ट आने में तीन दिन लग रहे हैं। राज्य की आबादी व नमूनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए लैबों को सैंपल मिलने के 24 घंटे में रिपोर्ट जारी करने का लक्ष्य दिया गया है। ज्यादातर लैब समय से रिपोर्ट जारी कर रहे हैं। कोरोना महामारी के चरम पर होने के दौरान सरकार 24 घंटे में रिपोर्ट जारी करने वाले लैबों को तय शुल्क का 10 से 20 फीसदी ज्यादा भुगतान कर रही थी। निकट भविष्य में इसकी जरूरी महसूस हो सकती है।

रायचुर, यादगीर, उत्तर कन्नड़, कोप्पल, तुमकूर, बल्लारी, बीदर, बेलगावी व विजयपुर भी उन जिलों में हैं, जहां के लैब समय पर रिपोर्ट जारी नहीं कर पा रहे हैं।

प्रोसेसिंग में देरी
जनवरी में जांच के लिए आने वाले नमूने कई गुणा बढ़े हैं। रिपोर्ट में देरी का यह बड़ा कारण है। कई मामलों में सुबह के सैंपल रात तक प्रोसेस नहीं हो पाते हैं। बावजूद इसके ज्यादातर नमूनों की रिपोर्ट 24 से 48 घंटे में जारी हो रही है।
– डॉ. रामकृष्ण एच, रायचुर जिला स्वास्थ्य अधिकारी, तुमकूर

लैबों के संपर्क में सरकार
सरकार लगातार स्थिति की निगरानी कर रही है और टेस्टिंग बढ़ाने के लिए लैबों के संपर्क में है।
– मुनीष मौदगिल, प्रमुख, कोविड वॉर रूम

बेंगलूरु से भी पहुंच रहे सैंपल
करीब 45 फीसदी मामलों में 24-48 घंटे के भीतर रिपोर्ट जारी हो रही है। नमूनों की संख्या बढ़ी है। कोविड के मामलों में अचानक उछाल के कारण बेंगलूरु से भी सैंपल जांच के लिए पहुंच रहे हैं। लैबों पर बोझ बढ़ा है।

– डॉ. एम. बी. नागेंद्रप्पा, जिला स्वास्थ्य अधिकारी

देरी स्वाभाविक
प्रति दिन संसाधित किए जाने वाले नमूनों की संख्या हाल ही में औसतन 4,000 से बढ़कर 6,000 हो गई है। दो आरटी-पीसीआर मशीनें हैं जो एक दिन में चार शिफ्टों में चल रही हैं। सैंपल बढऩे से रिपोर्ट में देरी स्वाभाविक है।
– डॉ. मनोज कुमार, डीन, बौरिंग लेडी कर्जन मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट

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