इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि संक्रमितों के सम्पर्क में आए लोगों की पहचान के लिए सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी। राज्य में बड़े पैमाने पर कोरोना की टेस्टिंग का नतीजा यह रहा कि कोरोना उस रफ्तार से अपने पांव नहीं पसार पाया जिस रफ्तार से अन्य राज्यों में फैल गया। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के एक अध्ययन के मुताबिक दूसरों के सम्पर्क में आने वाले लोगों की सबसे ज्यादा कोरोना टेस्ट कर्नाटक में हुआ।
कर्नाटक में कोरोना के कम मामलों की बड़ी वजह यह भी है कि सरकार लॉकडाउन के नियमों को लेकर बेहद सख्त थी और लॉकडाउन का कड़ाई से पालन किया गया। मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा की इस बात के लिए भी तारीफ हो रही है कि उन्होंने विपक्षी दलों को विश्वास में लेकर योजनाएं बनाईं और सफलता मिली।
तमिलनाडु में कोरोना वायरस के अब तक 42,687 मामले सामने आ चुके हैं। यहां कुल 18,881 एक्टिव केस हैं, वहीं 23,409 लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं। राज्य में कोरोना से मौत का आंकड़ा 397 है।
वहीं, दिल्ली में कोरोना वायरस के अब तक कुल 38,958 मामले सामने आ चुके हैं। यहां कोरोना से मौत का आंकड़ा 1,271 तक पहुंच चुका है। महाराष्ट्र में एक लाख से अधिक मामले
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के अब तक 1,04,568 मामले सामने आ चुके हैं। यहां 3,830 मरीजों की कोरोना से मौत हो चुकी है। 51,392 लोगों का यहां इलाज चल रहा है।