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बैंगलोर

ऑनलाइन हुए प्रतिबंधित स्वार्म टेक्नोलॉजी के उपग्रह

अमरीकी नियामक की अनदेखी कर इसरो से करवाया था 4 उपग्रहों का प्रक्षेपण, बेहद छोटे आकार के उपग्रह, दूसरे उपग्रहों के लिए हो सकते हैं खतरा

बैंगलोरAug 31, 2018 / 06:07 pm

Rajeev Mishra

isro

पांडियन फिलहाल महेंद्रगिरि स्थित इसरो प्रणोदन प्रणाली परिसर (IPRC) के निदेशक हैं। अब वे १ अगस्त से श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक का प्रभार संभालेंगे। वहीं एस पांडियन की जगह आईपीआरसी का निदेशक विशिष्ट वैज्ञानिक टी. मुकैय्या को बनाया गया है। मुकैय्या फिलहाल विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में एसोसिएट निदेशक (अनुसंधान एवं विकास) के पद पर कार्यरत हैं। वे १ अगस्त से आईपीआरसी के निदेशक का प्रभार संभालेंगे।

बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा लांच किए गए अमरीकी स्टार्ट अप्स स्वार्म टेक्नोलॉजीज के विवादास्पद उपग्रहों से अब डाटा संचारित होने लगे हैं। अमरीकी दूरसंचार नियामक फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (एफसीसी) की अनुमति के बिना ही प्रक्षेपित किए जाने के कारण ये उपग्रह विवादों में आ गए थे। बाद में इन्हें प्रतिबंधित कर दिया गया था।
एफसीसी ने कंपनी को इन उपग्रहों का परिचालन रोकने के लिए मजबूर करते हुए चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसे छोटे उपग्रह लांच करने की उसकी तमाम योजनाएं खतरे में पड़ जाएंगी। अब इस स्टार्टअप्स को कमीशन से इन उपग्रहों को सक्रिय करने की अनुमति मिल गई है। हालांकि, यह राहत अस्थायी ही है क्योंकि उपग्रहों के वाणिज्यिक उपयोग की इजाजत नहीं दी गई है। इस बीच कंपनी ने कहा है कि वह अगले वर्ष के अंत तक 100 उपग्रह धरती की कक्षा में स्थापित करेगी जिससे पूरी दुनिया में आंकड़ों की दर काफी सस्ती हो जाएगी। कंपनी का कहना है कि कुछ वर्षों पहले इंटरने की दर काफी अधिक थी खासकर दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में। लेकिन, अब इसे दुनिया के हर कोने तक छोटे उपग्रहों के जरिए काफी सस्ता किया जाएगा। इस कंपनी के उपग्रह स्पेसबीज के नाम से जाने जाते हैं।
इसरो ने इस साल 12 जनवरी को पीएसएलवी सी-40 से कार्टोसैट-2 सहित कुल 31 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था जिसमें इस कंपनी के चार नैनो उपग्रह स्पेसबीज-1,2,3 एवं 4 शामिल थे। उसके बाद विवाद ही विवाद शुरू हो गया। इन चारों उपग्रहों को लेकर यह कहा गया कि अमरीकी अमरीकी दूर संचार नियामक एफसीसी ने इन्हें लांच करने की अनुमति नहीं दी थी। बिना अनुमति के इन चारों उपग्रहों को छोड़ा गया और इन्हें अवांछित उपग्रह बताया। एफसीसी ने कहा कि इन उपग्रहों का आकार बेहद छोटा है इसलिए वह दूसरे उपग्रहों के लिए खतरा हो सकते है। अमरीकी दूर संचार नियामक ने लांच तिथि से एक महीने पहले ही कंपनी के आवेदन को रद्द कर दिया था। एफसीसी ही वाणिज्यिक उपग्रहों को विनियमित करने के साथ अंतरिक्षीय खतरे पर नजर रखता है।
अंतरिक्ष कॉर्पोरेशन ने अपनी सफाई में कहा है था कि क्यूब सैट स्पेसबी 1,2,3 और 4 अमरीकी स्टार्ट कंपनी का था जिसे स्पेस फ्लाइट अमरीका के साथ हुए वाणिज्यिक करार के तहत पीएसएलवी सी-40 से छोड़ा गया। चूंकि, इन उपग्रहों का आकार 10 सेमी से भी कम है इसलिए अमरीकी अंतरिक्ष निगरानी नेटवर्क द्वारा ट्रैक करना मुश्किल हो रहा है। एफसीसी ने इसे लांच के लिए प्राधिकृत नहीं किया था। अंतरिक्ष कॉर्पोरेशन ने यह भी कहा कि वाणिज्यिक लांच सेवाओं के लिए हुए समझौते के मुताबिक किसी भी अंतरिक्ष मिशन के लिए तमाम आवश्यक मंजूरी हासिल करना ग्राहक की जिम्मेदारी है। यह एक अंतरराष्ट्रीय विषय है इसलिए किसी भी उपग्रह को लांच करने के लिए भारत भेजने से पहले एफसीसी से अनुमति निश्चित तौर पर लें।
हालांकि, एफसीसी ने कहा है कि बिना अनुमति उपग्रह लांच करने पर स्वार्म टेक्नोलॉजी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से जुड़ी विषय की फिर से समीक्षा की जा रही है। एजेंसी इस विषय पर भी विचार करेगी की उसे वाणिज्यिक उपयोग की इजाजत दी जाए अथवा नहीं। वहीं कंपनी के अधिकारियों ने इस बात पर खुशी जताई कि उपग्रहों को फिर से सक्रिय किए जाने के बाद उनसे शानदार आंकड़े मिले। उपग्रह के सौर-पैनल, रेडियो प्रणाली आदि आशा के अनुरूप काम कर रहे हैं।
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