क्योंकि पुण्य करने का मन नहीं होता और यदि मन हो जाए तो भी दुर्जन लोग उसे रोकते हैं। थोड़े सज्जन मिलते हैं जो सहायक बनते हैं। परन्तु आत्मा के उत्थान रूप आध्यात्मिक मार्ग पर चढऩा तो बर्फीले पर्वत पर चढऩे जैसा अत्यंत कठिन है। उन्होंने कहा कि आत्मा को भारी बनाने वाले रस, ऋद्धि और शांत गौरव से बचना अत्यंत जरूरी है।
— जैन दिवाकर चौथमल की141वीं जयंती
बेंगलूरु. श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ राजाजीनगर की ओर से रविवार को सुबह सवा नौ बजे जैन दिवाकर चौथमल की 141वीं जयंती फ्रीडम पार्क में धूमधाम से मनाई जाएगी।
बेंगलूरु. श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ राजाजीनगर की ओर से रविवार को सुबह सवा नौ बजे जैन दिवाकर चौथमल की 141वीं जयंती फ्रीडम पार्क में धूमधाम से मनाई जाएगी।
इस अवसर पर दुलर्भ-प्राचीन गुरु दिवाकर चित्रकला प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाएगा। चौथमल के जीवन में शुक्ल पक्ष के रविवार का अद्भुत संयोग रहा। उनका जन्म, दीक्षा, अंतिम प्रवचन और देवलोकगमन सभी घटनाएं शुक्लपक्षीय रविवार को ही हुईं।