scriptसंवेग और निर्वेद एक सिक्के के दो पहलू-साध्वी सुधाकंवर | Emotion and Nirveda are two sides of a coin - Sadhvi Sudhakanwar | Patrika News
बैंगलोर

संवेग और निर्वेद एक सिक्के के दो पहलू-साध्वी सुधाकंवर

धर्मसभा का आयोजन

बैंगलोरJul 30, 2021 / 10:11 am

Yogesh Sharma

संवेग और निर्वेद एक सिक्के के दो पहलू-साध्वी सुधाकंवर

संवेग और निर्वेद एक सिक्के के दो पहलू-साध्वी सुधाकंवर

बेंगलूरु. हनुमंतनगर जैन स्थानक में विराजित साध्वी सुधाकंवर ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि निर्वेद से आत्मा संसार में अनासक्त होकर जीता है। अनासक्ति तीन प्रकार की होती है। संसार के प्रति अनासक्ति का भाव अर्थात वैराग्य भाव, शरीर के प्रति अनासक्ति का भाव अर्थात देहातीत अवस्था, पदार्थ के प्रति अनासक्ति का भाव अर्थात विमुक्ति का भाव। निर्वेद का अर्थ है- इच्छाओं से रहित होना, कामनाओं से रहित होना। निर्वेद सम्यक दर्शन का एक लक्षण है। जिस साधक के अंतर्मन में निर्वेद भाव जागृत होता है वह सादगीमय जीवन जीता है, सरलतामय जीवन जीता है, संतोष वृत्ति में जीता है और संसार में रहते हुए भी जल में कमल वत निर्लिप्त रहता है। संसार की वासनाओं से उपरत हो जाता है। साध्वी ने कहा कि संवेग और निर्वेद एक सिक्के के दो पहलू हैं, एक रथ के दो पहिए हैं। एक ओर संवेग
भीतर में मोक्ष की तीव्र अभिलाषा उत्पन्न करता है तो दूसरी ओर निर्वेद
साध्वी सुयशा ने कहा की परमपिता परमात्मा ने श्रावक के जीवन को निर्मल बनाने के लिए 21 गुण दिए हैं। उनमें से 1 गुण है दीर्घ दर्शिता अर्थात श्रावक को दीर्घदर्शी होना चाहिए। उन्होंने दृष्टियों के प्रकार बताते हुए कहा कि दृष्टि या तीन प्रकार की होती हैं- वर्तमान दृष्टि अर्थात आज का सोचना, दीर्घ दृष्टि अर्थात थोड़ा आगे का सोचना एवं परिणाम दृष्टि अर्थात हर कार्य को करने से पूर्व उसका परिणाम सोचना। एक सुज्ञ श्रावक को अपने जीवन में दीर्घ दृष्टि अथवा परिणाम दृष्टि धारण करनी चाहिए। अगर हमने जीवन में दीर्घ दृष्टि अथवा परिणाम दृष्टि को अपनाया तो हमारे जीवन की आधी समस्याएं समाप्त हो सकती है। धर्मसभा का संचालन करते हुए संघ अध्यक्ष कल्याण बुरड़ ने कहा कि 05 अगस्त को साध्वी सुधा कंवर के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में सजोड़े जाप का आयोजन किया जाएगा। 06-07-08 अगस्त को आचार्य आनंद ऋषि की जयंती के उपलक्ष्य में सामूहिक तेले तप का आयोजन किया जाएगा। सभा में हुक्मीचंद कांकरिया ने 7 उपवास के प्रत्याख्यान लिए।

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