बायोकॉन की प्रबंध निदेशक डॉ. किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि ऐसी
दवाएं बनाने पर जोर देने की जरूरत है जिन्हें लोग सस्ती दरों पर खरीद
सकें
बेंगलूरु. बायोकॉन की प्रबंध निदेशक डॉ. किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि ऐसी दवाएं बनाने पर जोर देने की जरूरत है जिन्हें लोग सस्ती दरों पर खरीद सकें। इससे करोड़ों लोग लाभान्वित होंगे। समय आ गया है कि विशेष और महंगी दवाओं से ध्यान हटाकर किफायती दवाओं की उत्पादकता पर जोर दिया जाए। ऐसे में दवाओं की महंगाई गरीब तबके के लिए मुसीबतें खड़ी नहीं करेगी।
बुधवार को बेंगलूरु इंडिया बायो के 16वें संस्करण के पहले दिन मेकिंग मेडिसिन ऑफ टुमॉरो विषय पर आयोजित एक सत्र में डॉ. शॉ ने कहा कि भारत जैसे विकासशील देश को ऐसे नवाचार मॉडल विकसित करने की जरूरत है जो चरमराए स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती दें और जन-जन तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने जैसी चुनौतियों को दूर कर सकें।
उन्होंने कहा कि देश में सरकारी स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रमों के अभाव के चलते 80 फीसदी मरीज इलाज का खर्च खुद उठाते हैं। भारत को अनुसंधान, नवाचार और सार्वजनिक स्वास्थ्य मॉडल के मामलों में यूनाइटेड किंगडम (यूके) से सीखने की जरूरत है। बेंगलूरु इंडिया बायो में यूके की 20 कंपनियां हिस्सा ले रही हैं। भारत और यूके के बीच साझेदारी से दोनों देशों को फायदा पहुंचेगा। खासतौर से मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा मिलेगा।
ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे जॉन एम.ने कहा कि किफायती दवाएं बनाने में यूके कई देशों से आगे है। यूके की 25 फीसदी दवाएं भारत में निर्मित होती हैं। ऐसे में वे चाहते हैं कि दोनों देशों के विशेषज्ञ मिलकर सस्ती दवाएं बनाने की संभावनाएं तलाशें।