‘उड़ानÓ के तहत अभी तक 948 मार्गों को मंजूरी दी गई है मगर 403 मार्गों पर ही विमान सेवाओं का परिचालन हो रहा है। यह हालत तब है जब सरकार विमानन कंपनियों को परिचालन नुकसान की भरपाई के लिए सब्सिडी देती है। उड़ान योजना के तहत अभी 65 हवाई अड्डों के साथ ही आठ हेलीपोर्ट और 2 जलीय एयरोड्रम से सेवाओं का परिचालन हो रहा है।
कोरोना काल में घेरलू हवाई सेवाओं पर भी असर पड़ा है। डीजीसीए के आंकड़ों के मुताबिक देश में 206 घरेलू हवाई अड्डे हैं, 153 चालू हैं। इन हवाई अड्डों का सकल नुकसान वित्त वर्ष 2020-21१ में 2,882 करोड़ रुपए रहा जबकि दो साल पहले 2018-19 में यह सिर्फ 465 करोड़ रुपए ही था। यात्री भार घटने और परिचालन पाबंदियों के कारण महानगरीय हवाई अड्डों की वित्तीय स्थिति पर भी असर पड़ा। अधिक परिचालन लागत के कारण महानगरों के हवाई अड्डे भी घाटे की स्थिति में हैं।
उड्डयन क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी से उपजी स्थिति के कारण उड़ान के तहत कंपनियां अभी सिर्फ उन्हीं मार्गों पर परिचालन कर रही हैं जहां यात्री भार अच्छा है और परिचालन व्यय पूरा हो सकता है। क्षेत्रीय मार्गों पर किराए की भी सीमा है जिससे विमानन कंपनियों को लागत निकालने के लिए जूझना पड़ता है। सीमित वित्तीय संसाधन के कारण बजट या नो-फ्रिल विमानन कंपनियों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है। एक कंपनी के अधिकारी ने कहा कि महंगे ईंधन के बीच कम यातायात और अधिक लागत इस योजना के मजबूती से आगे बढऩे में अवरोधक रहा है।
अक्टूबर 2016 में क्षेत्रीय संपर्क योजना-उड़े देश का आम नागरिक (आरसीएस-उड़ान) की शुरूआत के बाद से क्रियान्वयन एजेंसी भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआइ) चार चरणों में रूटों को लेकर बोली आमंत्रित कर चुकी है। 2021 में उड़ान 4.1 के तहत 168 मार्ग आवंटित किए गए। मंत्रालय की उड़ान के तहत १०० हवाई अड्डों से 1000 मार्गों पर विमान सेवाओं के परिचालन की है।
कोरोना की दूसरी लहर के कमजोर पडऩे के बाद घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ी है। जनवरी से नवंबर 2021 के बीच 7.26 करोड़ यात्रियों ने सफर किया, पिछले साल की समान अवधि के 5.56 करोड़ की तुलना में 30.4 प्रतिशत ज्यादा है। नवंबर 2021 में 1.05 करोड़ घरेलू यात्रियों ने सफर किया जबकि एक साल पहले यह संख्या 63.54 लाख थी।
– राजेश्वरी बी. उपाध्यक्ष, आइसीआरए
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80 प्रतिशत यात्री भार होने पर ही विमानन कंपनियां फायदे की स्थिति में होती हैं। मगर यह काफी मुश्किल है। उड़ान योजना के साथ यात्री भार की समस्या भी हैं।
– सुमेश सिंह, एविएशन विशेषज्ञ