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बैंगलोर

आधे से ज्यादा मार्गों पर टेक ऑफ नहीं हो सकी ‘उड़ान’

पांच साल पहले किफायती विमान सफर और छोटे शहरों को जोडऩे के लिए सरकार ने शुरू थी योजना
परिचालन नुकसान की भरपाई के लिए सरकार देती है वित्तीय सहायता
कहीं सुविधाओं की कमी तो कहीं कम यात्री भार के कारण विमानन कंपनियां नहीं ले रहीं रूचि

बैंगलोरJan 05, 2022 / 09:25 pm

Jeevendra Jha

Chennai Airport Arrivals Suspended Until 6 pm Due To Heavy Rain, Cross

Chennai Airport Arrivals Suspended Until 6 pm Due To Heavy Rain, Cross

बेंगलूरु. छोटे शहरों को विमान सेवा से जोडऩे और आम आदमी के लिए हवाई सफर को सस्ता बनाने के उद्देश्य से 5 साल पहले शुरू केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘उड़ानÓ योजना आधे से ज्यादा मार्गों पर टेक ऑफ नहीं हो सकी। कहीं सुविधाओं की कमी तो कहीं कम यात्री भार के कारण विमानन कंपनियां रूचि नहीं ले रही हैं।
उड़ान योजना के तहत दूसरे और तीसरे स्तर के शहरों में भी हवाई अड्डे शुरू हुए। कुछ बंद पड़े हवाई अड्डों को फिर से शुरू किया गया। क्षेत्रीय हवाई सेवाओं के परिचालन के लिए कई छोटी कंपनियां आगे आईं। मगर मुश्किलों के कारण कई कंपनियों ने कुछ समय बाद पांव खींच लिए तो कई कंपनियां वित्तीय मुश्किलों से जूझ रही हैं।
‘उड़ानÓ के तहत अभी तक 948 मार्गों को मंजूरी दी गई है मगर 403 मार्गों पर ही विमान सेवाओं का परिचालन हो रहा है। यह हालत तब है जब सरकार विमानन कंपनियों को परिचालन नुकसान की भरपाई के लिए सब्सिडी देती है। उड़ान योजना के तहत अभी 65 हवाई अड्डों के साथ ही आठ हेलीपोर्ट और 2 जलीय एयरोड्रम से सेवाओं का परिचालन हो रहा है।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने पिछले महीने शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में दिए बयान में स्वीकार किया था कि कुछ क्षेत्रीय मार्गों पर सिविल हवाई अड्डे या हेलीपोर्ट के परिचालन के लिए तैयार नहीं होने के कारण सेवाएं शुरू नहीं हो सकी हैं। मंत्री ने कहा कि ढांचागत सुविधाओं के लिए भूमि की उपलब्धता को लेकर भी समस्या है। कुछ मार्गों पर सेवाओं के बंद होने का कारण परिचालन अस्थिरता और कोरोना महामारी का प्रभाव है। मंत्रालय उड़ान योजना की समीक्षा करने के साथ ही आवंटित मार्गों पर परिचालन शुरू करने के लिए चयनित विमानन कंपनियों के संपर्क में है। केंद्र सरकार ने उड़ान योजना की घोषणा के बाद अनुपयोगी या कम उपयोगी हवाई अड्डों के उन्नयन के लिए 4500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था जिसमें से 2062 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं। उड़ान के तहत सरकार ने कंपनियों को 1465 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी है।
कोविड से बिगड़ी स्थिति
कोरोना काल में घेरलू हवाई सेवाओं पर भी असर पड़ा है। डीजीसीए के आंकड़ों के मुताबिक देश में 206 घरेलू हवाई अड्डे हैं, 153 चालू हैं। इन हवाई अड्डों का सकल नुकसान वित्त वर्ष 2020-21१ में 2,882 करोड़ रुपए रहा जबकि दो साल पहले 2018-19 में यह सिर्फ 465 करोड़ रुपए ही था। यात्री भार घटने और परिचालन पाबंदियों के कारण महानगरीय हवाई अड्डों की वित्तीय स्थिति पर भी असर पड़ा। अधिक परिचालन लागत के कारण महानगरों के हवाई अड्डे भी घाटे की स्थिति में हैं।
घाटे ने बढ़ाई मुश्किल
उड्डयन क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी से उपजी स्थिति के कारण उड़ान के तहत कंपनियां अभी सिर्फ उन्हीं मार्गों पर परिचालन कर रही हैं जहां यात्री भार अच्छा है और परिचालन व्यय पूरा हो सकता है। क्षेत्रीय मार्गों पर किराए की भी सीमा है जिससे विमानन कंपनियों को लागत निकालने के लिए जूझना पड़ता है। सीमित वित्तीय संसाधन के कारण बजट या नो-फ्रिल विमानन कंपनियों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है। एक कंपनी के अधिकारी ने कहा कि महंगे ईंधन के बीच कम यातायात और अधिक लागत इस योजना के मजबूती से आगे बढऩे में अवरोधक रहा है।
2024 तक 1 हजार मार्गों का लक्ष्य
अक्टूबर 2016 में क्षेत्रीय संपर्क योजना-उड़े देश का आम नागरिक (आरसीएस-उड़ान) की शुरूआत के बाद से क्रियान्वयन एजेंसी भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआइ) चार चरणों में रूटों को लेकर बोली आमंत्रित कर चुकी है। 2021 में उड़ान 4.1 के तहत 168 मार्ग आवंटित किए गए। मंत्रालय की उड़ान के तहत १०० हवाई अड्डों से 1000 मार्गों पर विमान सेवाओं के परिचालन की है।
घरेलू यात्रियों की संख्या बढ़ी
कोरोना की दूसरी लहर के कमजोर पडऩे के बाद घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ी है। जनवरी से नवंबर 2021 के बीच 7.26 करोड़ यात्रियों ने सफर किया, पिछले साल की समान अवधि के 5.56 करोड़ की तुलना में 30.4 प्रतिशत ज्यादा है। नवंबर 2021 में 1.05 करोड़ घरेलू यात्रियों ने सफर किया जबकि एक साल पहले यह संख्या 63.54 लाख थी।
उड़ान योजना में अधिकांश छोटी कंपनियां जुड़ी हैं। इनके लिए तरलता या संसाधनों के कम उपयोग की स्थिति से उबरना बड़ी चुनौती है। ढांचागत सुविधाओं के विकास के साथ परिचालन को अधिक व्यवहार्य बनाने की जरूरत है।
– राजेश्वरी बी. उपाध्यक्ष, आइसीआरए
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80 प्रतिशत यात्री भार होने पर ही विमानन कंपनियां फायदे की स्थिति में होती हैं। मगर यह काफी मुश्किल है। उड़ान योजना के साथ यात्री भार की समस्या भी हैं।
– सुमेश सिंह, एविएशन विशेषज्ञ

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