राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि महंगाई बढऩे के कारण चुनावी साजो सामान आदि पर खर्च बढ़े हैं। कुल मिलाकर अनुमानत: 500 करोड़ रुपए राज्य चुनाव आयोग ने खर्च किए हैं। इनमें से बड़ी राशि इवीएम की बैटरी और वीवीपेट मशीनों के लिए कागज रोल खरीदने पर व्यय हुए हंै। इसके अलावा मतदान कर्मियों और चुनाव पर्यवेक्षकों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि, परिवहन व्यवस्था, तैयारियों आदि पर खर्च हुए हैं।
वहीं, जागरुकता अभियान, मतदाता पर्ची आदि पर भी काफी रुपए खर्च हुए हैं। मतदान केंद्रों पर विविध प्रकार मतदाता सुविधाओं की व्यवस्था करने सहित सुरक्षा आदि पर भी धनराशि व्यय हुई। चूंकि इस बार मतदाताओं की संख्या 4.3 करोड़ से बढक़र 5.1 करोड़ हो गई और मतदान केंद्रों की संख्या 54264 से बढक़र 58186 हो गई, इसलिए भी चुनावी लागत में इजाफा हुआ है।
उन्होंने कहा, शांतिपूर्ण चुनाव कराने में गृह मंत्रालय के ६६ विभाग शामिल हुए जिन पर काफी खर्च आया। केंद्रीय अद्र्धसैनिक बलों और अन्य सुरक्षाबलों के खर्चे भी इसी में शामिल हैं। चुनाव पर होने वाले सभी खर्च केंद्र सरकार उठाती है लेकिन जो कानून एवं व्यवस्था पर खर्च होता है वह राज्य सरकार उठाती है।