योजना के तहत 27 मिस्ट कैनन मशीनें खरीदने का प्रस्ताव है जिसपर लगभग 14 करोड़ रुपए की लागत आएगी। प्रति मशीन की कीमत लगभग 53 लाख रुपए आएगी। लेकिन, विशेषज्ञों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का हवाला देते हुए प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उनका कहना है कि सार्वजनिक स्थानों पर इतने बड़े पैमाने पर छिड़काव या धुआं करने की सिफारिश डब्ल्यूएचओ नहीं करता है। बेहतर होगा कि इस राशि से खून में ऑक्सीजन की मात्रा और ऑक्सीजन की सांद्रता मापने के लिए ऑक्सीमीटर की खरीद हो। अथवा उच्च प्रवाह वाले ऑक्सीजन यंत्र स्थापित किए जाएं। डॉ गिरिधर बाबू ने कहा कि वायरस लोगों को संक्रमित करने के लिए पर्यावरण में प्रतीक्षा नहीं करता है। यह ज्यादातर एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है। मिस्ट कैनन पर पैसा खर्च करना बेकार है। उन्होंने कहा कि किस तरह ऑक्सीमीटर खरीदने वाले पैसे से मिस्ट कैनन खरीदने की बात हो रही है। यह महामारी का प्रसार रोकने में किस तरह मददगार होगा। यह पैसा आईसीयू बेड बढ़ाने, उच्च प्रवाह वाले ऑक्सीजन यंत्र और ऑक्सीमीटर पर खर्च होना चाहिए।
वहीं, बीबीएमपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने प्रस्ताव का बचाव करते हुए कहा कि कैनन मशीनें 2.5 पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) और 10 पीएम जैसे महीन कणों के साथ-साथ नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं सल्फर ऑक्साइड के सूक्ष्म कणों को भी नियंत्रित करती हैं। यह अस्थमा और सांस की समस्याओं वाले लोगों के लिए मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस रासायन में 1 अनुपात 100 के अनुपात में पानी मिलाकर अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों, बाजारों, वाणिज्यिक क्षेत्रों और सड़कों पर छिड़काव किया जा सकता है। ऐसा चेन्नई और हैदराबाद जैसे शहरों में किया गया है।
महापौर गौतम कुमार कहा कि बीबीएमपी ने प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है। मशीनें खरीदने अथवा नहीं खरीदने का निर्णय करने के लिए सरकार स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि ‘अभी बारिश का मौसम है और हम चाहते हैं कि हवा प्रदूषण मुक्त हो। लोगों को अन्य प्रकार के फ्लू अथवा बुखार नहीं होने चाहिए। कंपनी की प्रस्तुति के आधार पर, हमने मशीन की सैनिटाइजेशन क्षमता को सही पाया। हमें रोगियों द्वारा इस्तेमाल की गई सड़कों पर क्लोरीन पाउडर डालना चाहिए। क्लोरीन छिड़कने से अन्य वायरस नियंत्रित हो सकते हैं।’