कुवेम्पू स्थित एमएएसवीएस गुरुकुल पीयू कॉलेज में मैसूरु विवि व श्री राघवेंद्र गुरुकुल विद्यापीठ व अन्य संस्थानों के संयुक्त तत्वावधान में वपस्पति रोगों का पता लगाना व व्यापक पादप रोग प्रबंधन विषय पर सोमवार को आयोजित कार्यशाला में प्रो. भट्ट ने कहा कि कृषि देश का मुख्य व्यावसाय था।
अब भी 70 फीसदी आबादी आजीविका के लिए कृषि संबंधी गतिविधियों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर है। देश में 86 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान हैं। बावजूद इसके प्लांट क्लिनिकों की कमी है।
कृषि संबंधी कारणों से अब भी बड़ी संख्या में किसान मौत को गले लगाने पर मजबूर हैं। प्लांट क्लिनिक से समय रहते पौधा रोगों का पता लगा किसानों की मदद की जा सकेगी। इससे फसल के साथ किसानों की अर्थिक स्थिति भी सुधरेगी।
लाभ से वंचित किसान
वनस्पति विभाग को प्लांट क्लिनिक स्थापित करने पर बधाई देते हुए मैसूरु विवि के पूर्व कुलपति प्रो. एसएन हेगड़े ने कहा कि देश के 700 विश्वविद्यालयों में से कइयों में कृषि संबंधी अनुसंधान जारी है।
सकारात्मक परिणाम भी मिले हैं। लेकिन इसके लाभ से किसान वंचित हैं। उन्होंने मैसूरु विवि को पौधा औषधि पर पांच वर्षीय एकीकृत कोर्स शुरू करने की सलाह के साथ प्राचीन भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विषय पर पीजी डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने की अपील की।
मिट्टी की गुणवत्ता पर व्यापक असर
इससे पहले विधायक एसए रामदास ने कार्यशाला का उद्घाटन किया और किसानों की मदद के लिए कई प्लांट क्लीनिक स्थापित करने की वकालत की।उन्होंने कहा कि कृषि पैदावार बढ़ाने के लिए जिस तरह से अत्याधिक रसायन और उर्वरक का इस्तमाल हो रहा उससे लोगों का स्वास्थ्य तो खराब हो ही रहा है मिट्टी की गुणवत्ता भी खराब हो रही है।