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संसार में आना संयोग, जाना वियोग
बेंगलूरु. यशवंतपुर स्थानक में विराजित वीरेन्द्र मुनि ने मंगलवार को धर्मसभा में कहा कि मनुष्य का जन्म लेना संयोग है और मनुष्य का इस संसार से जाना वियोग है। उन्होंने कहा कि जन्म के समय सभी खुशियां मनाते हैं और मृत्यु के समय सभी दुख मनाते हैं। विराट मुनि ने कहा कि मनुष्य जन्म बड़ी मुश्किल से मिला है। इसे सुकृत कार्य करने में, धर्म करने में, दानपुण्य करने में लगाना चाहिए। बुधवार को अक्षय तृतीया, श्रमण संघ स्थापना दिवस, उपाध्याय केवल मुनि का पुण्य स्मृति दिवस मनाया जाएगा।
संसार में आना संयोग, जाना वियोग
बेंगलूरु. यशवंतपुर स्थानक में विराजित वीरेन्द्र मुनि ने मंगलवार को धर्मसभा में कहा कि मनुष्य का जन्म लेना संयोग है और मनुष्य का इस संसार से जाना वियोग है। उन्होंने कहा कि जन्म के समय सभी खुशियां मनाते हैं और मृत्यु के समय सभी दुख मनाते हैं। विराट मुनि ने कहा कि मनुष्य जन्म बड़ी मुश्किल से मिला है। इसे सुकृत कार्य करने में, धर्म करने में, दानपुण्य करने में लगाना चाहिए। बुधवार को अक्षय तृतीया, श्रमण संघ स्थापना दिवस, उपाध्याय केवल मुनि का पुण्य स्मृति दिवस मनाया जाएगा।
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डॉ. आंबेडकर को किया याद
मण्ड्या. महादेवपुर गांव के सर विश्ववेश्वर चौराहा पर ग्रामीणों ने मंगलवार को डॉ. भीमराव आंबेडकर जंयती के उपलक्ष्य में समारोह हुआ। आंबेडकर की तस्वीर पर पुष्पहार चढ़ा कर उनका स्मरण किया। तालुक पंचायत सदस्य संतोष गौड़ा, एमएच मरिगौड़ा सहित ग्रामीण मौजूद थे।
डॉ. आंबेडकर को किया याद
मण्ड्या. महादेवपुर गांव के सर विश्ववेश्वर चौराहा पर ग्रामीणों ने मंगलवार को डॉ. भीमराव आंबेडकर जंयती के उपलक्ष्य में समारोह हुआ। आंबेडकर की तस्वीर पर पुष्पहार चढ़ा कर उनका स्मरण किया। तालुक पंचायत सदस्य संतोष गौड़ा, एमएच मरिगौड़ा सहित ग्रामीण मौजूद थे।
——————— रजत जयंती महोत्सव: तैयारियां जोरों पर
बेंगलूरु. वासुपूज्य स्वामी जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ अक्कीपेट की ओर से संघ स्थापना के रजत जयंती वर्ष पर 19 अप्रेल से आयोजित होने वाले पांच दिवसीय पंचान्हिका महोत्सव की तैयारियां जोर शोर से की जा रही हैं। संघ के अध्यक्ष उत्तम करण संचेती व सचिव कांतिलाल जैन ने बताया कि वासुपूज्य स्वामी जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ की स्थापना 1993 में 21 ट्रस्टियों द्वारा की गई थी। 1994 में अक्कीपेट में वासुपूज्य स्वामी जैन मंदिर के लिए शिलान्यास कर गृह मंदिर से निर्माण कार्य शुरू किया। मंदिर में चेन्नई सेु प्रतिमा लाकर स्थापित की गई। 2006 में निर्माण पूर्ण होने पर आचार्य अशोक रत्न सूरीश्वर व अरुण विजय की निश्रा में प्रतिष्ठा समारोह संपन्न हुआ था। इसके बाद संघ द्वारा एक प्रवचन सभागार व एक आराधना भवन का निर्माण कराया गया। तब से प्रतिवर्ष यहां चातुर्मास होते आ रहे हैं। मंदिर में पंचधातु से निर्मित अमीजरा पाश्र्वनाथ की 41 इंच की मुख्य आकर्षण है, जो दक्षिण में इस तरह की एकमात्र प्रतिमा है। मंदिर में स्वर्ण जडि़त नक्काशी भव्यता प्रदान करती है। उन्होंने बताया कि संघ स्थापना के रजत जयंती वर्ष को लेकर संघ परिवारों में उत्साह है।
बेंगलूरु. वासुपूज्य स्वामी जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ अक्कीपेट की ओर से संघ स्थापना के रजत जयंती वर्ष पर 19 अप्रेल से आयोजित होने वाले पांच दिवसीय पंचान्हिका महोत्सव की तैयारियां जोर शोर से की जा रही हैं। संघ के अध्यक्ष उत्तम करण संचेती व सचिव कांतिलाल जैन ने बताया कि वासुपूज्य स्वामी जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ की स्थापना 1993 में 21 ट्रस्टियों द्वारा की गई थी। 1994 में अक्कीपेट में वासुपूज्य स्वामी जैन मंदिर के लिए शिलान्यास कर गृह मंदिर से निर्माण कार्य शुरू किया। मंदिर में चेन्नई सेु प्रतिमा लाकर स्थापित की गई। 2006 में निर्माण पूर्ण होने पर आचार्य अशोक रत्न सूरीश्वर व अरुण विजय की निश्रा में प्रतिष्ठा समारोह संपन्न हुआ था। इसके बाद संघ द्वारा एक प्रवचन सभागार व एक आराधना भवन का निर्माण कराया गया। तब से प्रतिवर्ष यहां चातुर्मास होते आ रहे हैं। मंदिर में पंचधातु से निर्मित अमीजरा पाश्र्वनाथ की 41 इंच की मुख्य आकर्षण है, जो दक्षिण में इस तरह की एकमात्र प्रतिमा है। मंदिर में स्वर्ण जडि़त नक्काशी भव्यता प्रदान करती है। उन्होंने बताया कि संघ स्थापना के रजत जयंती वर्ष को लेकर संघ परिवारों में उत्साह है।