प्रदर्शनकारियों ने कहा कि करीब 15 सालों तक संघर्ष करने के बाद पिछली सिद्धरामय्या सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन राजस्व मंत्री ने विशेष रुचि लेकर गोचर भूमि पर जुताई करने वाले बगैर हुकुम किसानों के लिए भूमि का नियमन करने की दिशा में राजस्व अधिनियम में संशोधन किया था।
बगैर हुकुम भूमि के नियमन के प्रकरणों के विशेष अर्जियां एकत्रित करने की पहल की गई थी। लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं होने के कारण किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हम गरीबों के लिए आजीविका चलाना ही कठिन हो रहा है। उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा किराए पर चला जाता है और बच्चों की शिक्षा, भोजन व स्वास्थ्य सुरक्षा सब कुछ महंगी हो गई है। सरकार के पास भूमि के नियमन के लिए अर्जियां जमा करवाई गईं, लेकिन अभी तक सरकार ने भूमि या मकान तक मंजूर नहीं किए। लिहाजा जिलाधिकारियों व संबधित मंत्रियों को मिलकर हमारी समस्या को हल करना होगा।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए संघ के अध्यक्ष जे.सी. बय्या रेड्डी ने कहा कि बगैर हुकुम भूमि के नियमन के लिए जारी किए गए फार्म 57 को स्वीकार करने को लेकर उलझन पैदा हो गई है और इस उलझन को तत्काल राजस्व मंत्री दूर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शहरी व कृषि के अधीन आने वाली वन भूमि से संबंधित बगैर हुकुम की समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य सरकार को तत्काल समुचित कदम उठाने चाहिए।
दलित समिति का प्रदर्शन
बेंगलूरु. कर्नाटक दलित संर्घष समिति की ओर से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मंगलवार को दोपहर में बन्नप्पा पार्क के पास नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन में स्थानीय व आसपास क्षेत्र से बड़ी संख्या में दलित कार्यकर्ता शामिल हुए।