मुश्किल हो रहा है सच्चाई बयां करना : मरलु सिद्धप्पा
देश में एक सुनियोजित तरीके से ऐसा माहौल पैदा किया जा रहा है कि अब लोग सच्चाई बयां करने से डऱ रहें है। अब देश में हालांत वैचारिक विरोधियों की हत्या करने तक गिर गए है। इसी मानसिकता के कारण हमने साहित्यकार एमएम कलबुर्गी तथा गौरी लंकेश को खो दिया है।साहित्यकार डॉ. के. मरलसिद्धप्पा ने यह बात कही।
मुश्किल हो रहा है सच्चाई बयां करना : मरलु सिद्धप्पा
बेंगलूरु.देश में एक सुनियोजित तरीके से ऐसा माहौल पैदा किया जा रहा है कि अब लोग सच्चाई बयां करने से डऱ रहें है। अब देश में हालांत वैचारिक विरोधियों की हत्या करने तक गिर गए है। इसी मानसिकता के कारण हमने साहित्यकार एमएम कलबुर्गी तथा गौरी लंकेश को खो दिया है।साहित्यकार डॉ. के. मरलसिद्धप्पा ने यह बात कही।
यहां मंगलवार को गांधी स्मृति भवन के सभागार में 30 जनवरी महात्मा गांधी की पुुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि देश में अघोषित आपातकाल जैसा माहौल होने के कारण देश की जनता घुटन महसूस कर रही है।सत्तासीन दल के विरोध में बात करनेवालों को निशाना बनाया जा रहा है।सरकार के साथ मतभेद रखनें वालों को देशद्रोही करार दिया जा रहा है। ऐसी वैचारिक असहिष्णुता गणतंत्र के लिए घातक होने के कारण ऐसी नाजी (फासिस्ट) विचारधारा के खिलाफ आवाज उठाना समय की मांग है।
साहित्यकार के.शरीफ ने कहा कि नागरिकता संशोधित कानून (सीएए) तथा राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीकरण (एनआरसी) का विरोध करनेवालों को जान से मारने की धमकियां मिल रही है।इन दोनों प्रस्तावों के आड में समाज के बीच खाइयां पैदा करने के साथ एक समुदाय विशेष को संदेह की नजरों की देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस देश में सदियां बिताने के बाद भी एक समुदाय विशेष से उनकी नागरिकता साबित करने के लिए सबुत मांगे जा रहें है।जबकि वास्तविकता यह ही इस देश के आजादी के जंग में देश के सभी समुदाय के लोगों ने भाग लिया था।आज आजादी के 71 वर्षों के बाद देश में केवल राजनीति के लिए ऐसे माहौल का निर्माण किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
साहित्यकार कवि डॉ के सुकन्या ने बताया की 30 जनवरी को गांधी स्मृति भवन के परिसर में महात्मा गांधी तथा कस्तुरबा गांधी की जीवनी पर आधारित 150 पुस्तकों का विमोचन किया जाएगा।साथ में युवा कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।इस कार्यक्रम में साहित्यकार बरगुर रामचंद्रप्पा, कन्नड़ साहित्य परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रो. चंद्रशेखर पाटिल, साहित्यकार डॉ विजया समेत कई साहित्यकार तथा कवि भाग लेंगे।
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