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बैंगलोर

नियमों का उल्लंघन करने पर 45 स्कूली बसों पर लगाया जुर्माना

बेंगलूरु यातायात पुलिस ने नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई कर 45 बसों पर जुर्माना लगाया है।

बैंगलोरMay 17, 2019 / 10:43 pm

शंकर शर्मा

नियमों का उल्लंघन करने पर 45 स्कूली बसों पर लगाया जुर्माना

नियमों का उल्लंघन करने पर 45 स्कूली बसों पर लगाया जुर्माना

बेंगलूरु. बेंगलूरु यातायात पुलिस ने नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई कर 45 बसों पर जुर्माना लगाया है। यातायत पुलिस ने गुरुवार को शहर के विभिन्न क्षेत्रों में नियमों का उल्लंघन कर रही निजी स्कूली बसों को रोक कर जांच की और कई चालकों को नोटिस थमाया।

विभिन्न क्षेत्रों के अभिभावकों ने शहर पुलिस आयुक्त टी. सुनील कुमार को ज्ञापन सौंपकर शिकायत की थी कि स्कूली बसों और अन्य वाहनों के नियमों का उल्लंघन के बावजूद कार्रवाई नहीं होती है। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को ढोने वाली बसों और अन्य वाहनों की जांच, कार्रवाई की जिम्मेेदारी यातायात पुलिस और परिवहन विभाग की है।

दोनों विभाग अपनी जिम्मेेदारियों को निभाने में विफल रहे हैं। वाहनों में कितने बच्चों को ले जाना है, इसके लिए दिशा निर्देश हैं। केवल कुछ वाहन ही इसका पालन करे रहे हंै। कुछ स्कूलों के छोटे वाहनों में १२ से १५ बच्चों को बैठाया जाता है।

वाहन मालिक वाहन के अंदर की सीटों को कुछ इस तरह मोडीफाइ कर देते हैं, जिससे अधिकाधिक बच्चे बैठ सकें। ऑटो रिक्शा में भी ज्यादा बच्चों को सवार किया जाता है। कुछ शुल्क बचाने के लिए किराए के ऑटो, टैक्सी, कैब, टै्रवलर और मिनी बसों में बच्चों को स्कूल भेजते हैं। ऐसे में संबंधित विभागों के अधिकारियों को नियमित रूप से वाहनों की जांच करनी चाहिए।


दूसरी तरफ बच्चों को स्कूल ले जाने वाले वाहनों की संख्या कितनी है, इसका हिसाब किसी के पास नहीं है। शहर के शिक्षा संस्थानों के लिए पंजीकृत वाहनों की संख्या १२,३५२ है। इन्हें छोडक़र अन्य कितने वाहनों में बच्चों को सवार किया जा रहा है, इसका जानकारी परिवहन विभाग के पास नहीं है।

एक समीक्षा के अनुसार शहर में कम से कम ४० हजार वाहन बच्चों को ढो रहे हैं। अभिभावकों ने आरोप लगाए हैं कि कई बसों के चालक शराब पीकर वाहन चलाते हैं। यातायात पुलिस चालकों को केवल चेतावनी देकर छोड़ देती है। बच्चों, छात्रों, श्रमिकों और कमजोर आय वर्ग के लोगों को माल वाहक वाहनों में क्षमता से ज्यादा भर कर ले जाते हैं। यह मानव अधिकारों का उल्लंघन है।

उच्च न्यायालय में याचिका दायर
इसी बीच कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर परिवहन विभाग के खिलाफ अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीक से नहीं निभाने की शिकायत की है। सरकारी आदेश के अनुसार सभी निजी स्कूल प्रबंधन को वाहन, चालक समेत सभी कर्मचारियों का विवरण हर साल पुलिस विभाग को देना पड़ता है। इस साल २५० स्कूलों ने विवरण दिए हैं।


ट्रैफिक पुलिस के प्रयास
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (यातायात) पी. हरिशेखरन ने बताया कि शैक्षणिक सत्र आरंभ होने के बाद प्रत्येक माह के दूसरे शनिवार को स्कूल वाहनों के चालकों के लिए कार्याशाला की जाती है। प्रतिमाह में दो बार वाहनों की जांच की जाएगी। ३० अप्रेल २०१९ तक ६५२ मामले दर्ज कर चालकों, स्कूलों के प्रशासन को नोटिस जारी चेतावनी दी है। २०१८ में ५,०४३ मामले दर्ज किए, २०१७ में ४,५५६ मामले दर्ज किए गए।

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