अब चांद से 36 किमी दूर रह जाएगा लैंडर
हालांकि, लैंडर का असली मैनुवर तड़के 3.30 से 4.30 बजे के बीच होना तय है जिसके बाद वह बुधवार को चांद की 36 किमी गुणा 110 किमी वाली कक्षा में चक्कर लगाएगा। यानी, इस कक्षा में लैंडर विक्रम चांद की सतह से 36 किमी न्यूनतम दूरी (पेरिलून) और 110 किमी अधिकतम दूरी (एपोलून) पर होगा। 7 सितम्बर तड़के 1.40 बजे लैंडर दक्षिणी धु्रव के दो क्रेटरों ‘मैंजिनस सीÓ और ‘सिंपैलियस एनÓ के बीच पहुंचेगा और उसकी दूरी लगभग 30 किमी रहेगी। ठीक उसी पल बेंगलूरु स्थित मिशन ऑपरेशन कॉम्पलेक्स से कमांड भेजा जाएगा और विक्रम सॉफ्ट लैंडिंग के लिए निकल पड़ेगा। महज 15 मिनट बाद भारत के खाते में ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज होगी और करोड़ों भारतीयों की उम्मीदें पूरी होंगी।
लैंडिंग के समय आर्बिटर ठीक विक्रम के सीध में होगा
जब लैंडर विक्रम चंद्रमा की धरती पर उतरेगा तो ठीक उसी समय 100 किमी दूरीसे चक्कर लगा रहा आर्बिटर उसकी सीध में होगा। इसरो ने इसके लिए एक महत्वपूर्ण मैनुवर मंगलवार को 11.56 बजे किया। इस मैनुवर के बाद आर्बिटर की कक्षा भी 119 किमी गुणा 127 किमी से घटकर लगभग 100 किमी गुणा 100 रह गई है। अब जब लैंडर चांद की धरती पर उतरेगा तो चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहा आर्बिटर ठीक उसके ऊपर रहेगा। यह धरती से संचार स्थापित करने एवं लैंडिंग की बेहतरीन तस्वीरें उतारने के दृष्टिकोण से बेहद अहम है। यहां गौर करने वाली बात है कि अभी तक चंद्रमा पर लैंडिंग की 38 बार कोशिश हुई है और कामयाबी दर लगभग 37 फीसदी है।
पीएम मोदी बनेंगे ऐतिहासिक पल का गवाह
चंद्रमा पर लैंडिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो टेलीमेट्री एंड कमांड नेटवर्क (इसट्रैक) में मौजूद रहेंगे। वे देशभर के चुने हुए 100 छात्रों के साथ ऐतिहासिक पल का गवाह बनेंगे। पीएम 6 सितम्बर को बेंगलूरु पहुंचेंगे।