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बैंगलोर

अगले साल के मध्य में लघु उपग्रह रॉकेट का पहला प्रक्षेपण संभव

रॉकेट को केवल 72 घंटे में ही तैयार किया जा सकेगा

बैंगलोरAug 14, 2018 / 01:42 am

Rajendra Vyas

 small satellite

अगले साल के मध्य में लघु उपग्रह रॉकेट का पहला प्रक्षेपण संभव

रॉकेट की निर्माण लागत वर्तमान रॉकेट की तुलना में दस गुणा कम होगी
बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगले वर्ष एक नए रॉकेट का परीक्षण करेगा जो 500 से 700 किलोग्राम वजनी उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने की योग्यता रखेगा।
यहां रविवार को इसरो मुख्यालय में विक्रम साराभाई की आवक्ष प्रतिमा के अनावरण के बाद इसरो अध्यक्ष के. शिवन ने कहा कि शिवन ने कहा कि मई-जून 2019 के दौरान लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) का प्रयोगात्मक प्रक्षेपण किया जाएगा। इस रॉकेट को केवल 72 घंटे में ही तैयार किया जा सकेगा। केवल 5 से 6 लोग मिलकर इसे तैयार कर सकेंगे। इस रॉकेट की निर्माण लागत वर्तमान रॉकेट की तुलना में दस गुणा कम होगी। इस रॉकेट की ऊंचाई 34 मीटर होगी और यह दो मीटर व्यास का होगा। आने वाले दिनों में सस्ते प्रक्षेपण के लिए यह बेहद उपयोगी साबित होगा और ऑन डिमांड उपलब्ध होगा। इसे निजी क्षेत्रों के सहयोग से तैयार किया जाएगा और इसरो की वाणिज्यिक इकाई अंतरिक्ष लिमिटेड इसका प्रबंधन संभालेगी। उन्होंने बताया कि एसएसएलवी के ऑपरेशनल होने के लिए दो प्रयोगात्मक उड़ानों की आवश्यकता होगी। इसमें से एक मई-जून के दौरान होगा जबकि दूसरा अक्टूबर 2019 में करने की योजना है।
निजी क्षेत्रों की बढ़ेगी भूमिका
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में निजी क्षेत्र इसरो के कार्यक्रमों में अहम भूमिका निभाएंगे। अगले तीन वर्षों के दौरान इसरो ने जो 50 उपग्रह लांच करने की योजना बनाई है उसमें से आधे उपग्रह निजी क्षेत्र ही इंटीग्रेट करेंगे। इसरो वैज्ञानिक उन उपग्रहों का सिर्फ परीक्षण करेंगे। इसरो के कुल 11 हजार 400 करोड़ के बजट का लगभग 8 5 से 90 फीसदी हिस्सा निजी क्षेत्र को ही जाएगा। इतना ही नहीं पीएसएलवी रॉकेट के इंटीग्रेशन की जिम्मेदारी भी अब निजी क्षेत्र को दी जाएगी। उम्मीद है कि निजी क्षेत्र द्वारा पीएसएलवी रॉकेट का प्रक्षेपण वर्ष 2019-20 के दौरान होगा जो विक्रम साराभाई के जन्म शताब्दी समारोह का एक हिस्सा बनेगा।
इसरो अब लांच करेगा विज्ञान टीवी चैनल
देश की क्षमता निर्माण के साथ ही विज्ञान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इसरो अब विज्ञान टेलीविजन चैनल भी शुरू करेगा। शिवन ने कहा कि देश में टीवी चैनल तो काफी हैं लेकिन एक विज्ञान चैनल का नितांत अभाव है। इसलिए इसरो एक टीवी चैनल शुरू करेगा जो देश में विज्ञान की अलख जगाएगा। इसके जरिए देश के दूर-दराज के इलाकों को विज्ञान के करीब लाने में मदद मिलेगी। टीवी से अलग-अलग भाषाओं में कार्यक्रम प्रसारित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों के जरिए विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान की बदलती प्रौद्योगिकी से अवगत कराया जाएगा। शिवन ने कहा कि ‘भारतीय अंतरिक्ष मिशन और उसके उपयोगों की जानकारियां लोगों तक ठीक से नहीं पहुंच पा रही हैं। चैनल के माध्यम से हमारा प्रयास अंतरिक्ष कार्यक्रमों के फायदों से लोगों को जागरूक करना है।’
नासा की तर्ज पर खुलेगा श्रीहरिकोटा स्पेस पोर्ट
इसरो जल्दी ही नासा की तर्ज पर श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस पोर्ट आम आदमी के लिए खोल देगा। अब आम आदमी भी उपग्रहों की लांचिंग देख सकेगा। शिवन ने कहा कि अब आंगतुकों के लिए एक अलग सिस्टम तैयार किया जा रहा है जिसके तहत लांच देखने की अनुमति दी जाएगी। क्षमता निर्माण कार्यक्रम के तहत 8वीं से 10 वीं कक्षा के चयनित छात्रों को एक महीने के लिए इसरो में प्रशिक्षित किया जाएगा और देश भर की इसरो की प्रयोगशालाओं और केद्रों में ले जाया जाएगा। इस दौरान छात्रों को उपग्रह बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसरो की कोशिश है कि युवाओं में अंतरिक्ष विकास के प्रति रुचि पैदा हो।
इसरो अध्यक्ष ने बताया कि विक्रम साराभाई की जन्म शताब्दी के अवसर पर कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान विज्ञान जगत की महान विभूतियों के 100 व्याख्यान आयोजित होंगे। इसे वैश्विक अंतरिक्ष नेटवर्किंग निकाय और अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष परिसंघ के सहयोग से आयोजित किया जाएगा। स्पेस क्लब, नॉलेज सेंटर, टॉक शो और पुरस्कार आदि जन्म शताब्दी समारोह के हिस्सा होंगे। इसपर शुरुआती 50 करोड़ रुपए का बजट है। इससे पहले पूर्व इसरो अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन ने विक्रमसाराभाई की 99 वीं जयंती पर इसरो मुख्यालय में उनकी अर्ध प्रतिमा का अनावरण किया।

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