उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में निजी क्षेत्र इसरो के कार्यक्रमों में अहम भूमिका निभाएंगे। अगले तीन वर्षों के दौरान इसरो ने जो 50 उपग्रह लांच करने की योजना बनाई है उसमें से आधे उपग्रह निजी क्षेत्र ही इंटीग्रेट करेंगे। इसरो वैज्ञानिक उन उपग्रहों का सिर्फ परीक्षण करेंगे। इसरो के कुल 11 हजार 400 करोड़ के बजट का लगभग 8 5 से 90 फीसदी हिस्सा निजी क्षेत्र को ही जाएगा। इतना ही नहीं पीएसएलवी रॉकेट के इंटीग्रेशन की जिम्मेदारी भी अब निजी क्षेत्र को दी जाएगी। उम्मीद है कि निजी क्षेत्र द्वारा पीएसएलवी रॉकेट का प्रक्षेपण वर्ष 2019-20 के दौरान होगा जो विक्रम साराभाई के जन्म शताब्दी समारोह का एक हिस्सा बनेगा।
देश की क्षमता निर्माण के साथ ही विज्ञान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इसरो अब विज्ञान टेलीविजन चैनल भी शुरू करेगा। शिवन ने कहा कि देश में टीवी चैनल तो काफी हैं लेकिन एक विज्ञान चैनल का नितांत अभाव है। इसलिए इसरो एक टीवी चैनल शुरू करेगा जो देश में विज्ञान की अलख जगाएगा। इसके जरिए देश के दूर-दराज के इलाकों को विज्ञान के करीब लाने में मदद मिलेगी। टीवी से अलग-अलग भाषाओं में कार्यक्रम प्रसारित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों के जरिए विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान की बदलती प्रौद्योगिकी से अवगत कराया जाएगा। शिवन ने कहा कि ‘भारतीय अंतरिक्ष मिशन और उसके उपयोगों की जानकारियां लोगों तक ठीक से नहीं पहुंच पा रही हैं। चैनल के माध्यम से हमारा प्रयास अंतरिक्ष कार्यक्रमों के फायदों से लोगों को जागरूक करना है।’
नासा की तर्ज पर खुलेगा श्रीहरिकोटा स्पेस पोर्ट
इसरो जल्दी ही नासा की तर्ज पर श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस पोर्ट आम आदमी के लिए खोल देगा। अब आम आदमी भी उपग्रहों की लांचिंग देख सकेगा। शिवन ने कहा कि अब आंगतुकों के लिए एक अलग सिस्टम तैयार किया जा रहा है जिसके तहत लांच देखने की अनुमति दी जाएगी। क्षमता निर्माण कार्यक्रम के तहत 8वीं से 10 वीं कक्षा के चयनित छात्रों को एक महीने के लिए इसरो में प्रशिक्षित किया जाएगा और देश भर की इसरो की प्रयोगशालाओं और केद्रों में ले जाया जाएगा। इस दौरान छात्रों को उपग्रह बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसरो की कोशिश है कि युवाओं में अंतरिक्ष विकास के प्रति रुचि पैदा हो।
इसरो अध्यक्ष ने बताया कि विक्रम साराभाई की जन्म शताब्दी के अवसर पर कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान विज्ञान जगत की महान विभूतियों के 100 व्याख्यान आयोजित होंगे। इसे वैश्विक अंतरिक्ष नेटवर्किंग निकाय और अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष परिसंघ के सहयोग से आयोजित किया जाएगा। स्पेस क्लब, नॉलेज सेंटर, टॉक शो और पुरस्कार आदि जन्म शताब्दी समारोह के हिस्सा होंगे। इसपर शुरुआती 50 करोड़ रुपए का बजट है। इससे पहले पूर्व इसरो अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन ने विक्रमसाराभाई की 99 वीं जयंती पर इसरो मुख्यालय में उनकी अर्ध प्रतिमा का अनावरण किया।