चारित्र का निर्माण संस्कारों पर निर्भर-साध्वी कंचनप्रभा
तीन दिवसीय शिविर का समापन
चारित्र का निर्माण संस्कारों पर निर्भर-साध्वी कंचनप्रभा
बेंगलूरु. तेरापंथ सभा भवन गांधीनगर में साध्वी कंचनप्रभा के सान्निध्य में तेरापंथ सभा के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय चारित्र निर्माण शिविर का समापन हुआ। लगभग 200 बालक-बालिकाओं ने भाग लिया। साध्वी कंचनप्रभा ने संभागी बने बालक-बालिकाओं को उद्बाोधन देते हुए कहा कि चारित्र का निर्माण संस्कारों पर निर्भर है। ज्ञानशाला सत संस्कारों की जननी है। बचपन तथा शेशव श्वेत पत्र के समान है जिस पर जैसा चाहे लिखा जा सकता है। जैसा चाहे रंग भरा जा सकता है। ज्ञानशाला आध्यात्मिक संस्कारों के बीजारोपण के लिए एक ऐसा महान उपक्रम संपन्न पाठ्यक्रम है जिसमें बालक-बालिकाओं में धर्म देव धर्म गुरु के प्रति श्रद्धा भाव जागृत होते हैं जो बच्चे साधु-साध्वियों के सन्निधि में आते हैं उनका जीवन यानी आचरण अनुमोदनीय बन जाता है। साध्वी मंजूरेखा ने कहा-वर्तमान का समय युग परिवर्तन का समय है। इस बदलते परिवेश में निर्माण जरूरी है। जिनके पास दिशा सही होती है वह हमेशा सही बोध प्राप्त करता है किशोर किशोरियों को प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा आपका चरित्र ही आपका व्यक्तित्व है क्योंकि बहुत सारे कार्य इस पारदर्शिता पर ही टिके हुए हैं। शिविरार्थियों के लिए साध्वी मंजू रेखा, उदित प्रभा, निर्भय प्रभा, चेलनाश्री ने गीत प्रस्तुत किया। शिविर में ज्ञानशाला संयोजक जुगराज श्रीश्रीमाल, हेमंत छाजेड़, प्रशिक्षिकाएं, पारसमल नाहर, राजेश कोठारी, समता गिरिया, संगीता चंडालिया, संगीता सिसोदिया एवं प्रभा सेठिया ने प्रशिक्षण दिया। समापन समारोह में तेरापंथ अध्यक्ष सुरेश दक, तेयुप अध्यक्ष विनय बैद, तेरापंथ महिला मंडल मंत्री सरस्वती बाफना, जुगराज श्रीश्रीमाल, पारसमल नाहर ने शिविर में संभागी बने सभी सदस्यों के शुभ भविष्य की मंगल कामना की। साध्वी कंचनप्रभा ने गांधीनगर तेरापंथ भवन में 29 मई से प्रारंभ होने वाली ज्ञानशाला में जैन विद्या व शिशु संस्कार बोध अध्ययन के लिए बालक-बालिकाओं को व उनके अभिभावकों को प्रेरणा दी। आभार किरण सेठिया ने जताया। ज्ञानशाला सहसंयोजक गौतम डोसी ने तीनों दिन कायक्रम का व शिविर व्यवस्था का संचालन किया। कन्याओं ने क्विज अंताक्षरी स्क्रिप्ट आदि कार्यक्रम प्रस्तुत किए।