स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन से पालिका को मुक्त करने के प्रस्ताव पर विवाद
पूर्व वार्ड पार्षदों के साथ ही विशेषज्ञ भी विरोध
स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन से पालिका को मुक्त करने के प्रस्ताव पर विवाद
बेंगलूरु. कोरोना महामारी के बीच बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) को शहर में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन से अलग करने के प्रस्ताव को लेकर विरोध के स्वर उभरने लगे हैं। पूर्व वार्ड पार्षदों के साथ ही शहर नियोजन विशेषज्ञों ने भी इस पर आपित्त जताई है।
दरअसल, उपमुख्यमंत्री डॉ सीएन अश्वथ नारायण की अध्यक्षता में शनिवार को हुई कोविड-१९ कार्यबल की बैठक में शहर के सरकारी अस्पतालों के प्रबंधन की जिम्मेदारी पालिका से लेकर स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग के अधीन एक नई एजेंसी को देने के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। इसके लिए एक अलग निदेशालय बनाए जाने का प्रस्ताव है। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय तकनीकी और प्रशासनिक पहलुओं पर विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने के बाद लिया जाएगा। सरकार पहले ही बेंगलूरु में ठोस कचरा निस्तारण के लिए अलग उपक्रम बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे चुकी है।
नारायण ने कहा कि कोरोना में शहर की स्वास्थ्य व्यवस्था को अधिक बेहतर बनाने की जरुरत सामने आई है ताकि हर किसी को गुणवत्ता और किफायती चिकित्सा उपलब्ध कराई जा सके। अभी शहर में सरकारी अस्पतालों का प्रबंधन कई एजेंसियों के तहत आता है। नई व्यवस्था में यह एक निदेशालय के अधीन होगा। नारायण ने कहा कि पालिका नागरिक सुविधाओं से जुड़े कार्यों के दबाव के कारण स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती है। उन्होंने कहा कि शहर के सभी सरकारी अस्पतालों के प्रबंधन के लिए एजेंसी बनाने से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन के लिए समिति बनाई जाएगी।
अधिकारियों के मुताबिक शहर में सरकारी अस्पतालों का प्रबंधन अभी तीन निकायों के पास है। कुछ अस्पताल स्वास्थ्य विभाग के अधीन हैं तो कुछ चिकित्सा शिक्षा के। शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ की कई अस्पातलों का प्रबंधन पालिका करती है। अधिकारियों के मुताबिक अलग-अलग एजेंसियों के तहत आने के कारण इन अस्पतालों को समन्वय भी मुश्किल होता है। संविधान के ७४वें संशोधन के मुताबिक स्वास्थ्य सेवाएं स्थानीय निकायों की अनिवार्य जिम्मेदारी है। हाल ही सरकार ने कोरोना के बेहतर प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन को विकेंद्रीकृत करने और मुंबई की तर्ज पर वार्ड स्तरीय समितियों को अधिक अधिकार देने की घोषणा की थी।
सूत्रों के मुताबिक बैठक में शामिल हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ के. सुधाकर और शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार भी अलग निकाय बनाने के प्रस्ताव से सहमत हैं। बैठक में निजी अस्पतालों के अधिक खर्चीले होने और मध्यम वर्ग व गरीबों के पहुंच से बाहर होने को लेकर भी चर्चा हुई। नारायण ने कहा कि शहर के सभी २८ विधानसभा क्षेत्रों में हाईटेक अस्पताल व चार विधानसभा क्षेत्रों पर एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाने का प्रस्ताव रखा गया।
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