आयुक्त ने पाटिल के उस दावे को नकार दिया कि रकम से उनका कोई संबंध नहीं था। आयुक्त ने अपने फैसले में कहा कि तमाम उपलब्ध सबूतों और गवाहों, समिति के पदाधिकारियों के बयानों का परीक्षण करने के बाद ही यह निष्कर्ष निकाला गया है।
आयकर अधिकारियों को कुछ दस्तावेज और एक डायरी मिली थी जिसमें बैंक में धन जमा करने वालों के नाम थे। उसमें अन्य लोगों के साथ पाटिल का भी नाम था। सहायक प्रबंधक एसके तेरदाले सहित अन्य बैंक अधिकारियों से पूछताछ में उन्होंने स्वीकार किया कि रकम पाटिल की थी।
आयकर विभाग के उपायुक्त बीके प्रसन्न कुमार की अगुवाई में एक टीम ने २०१२ में समिति पर छापा मारा था। पाटिल लगातार यह दावा करते रहे हैं कि जब्त किया गया धन उनका नहीं है। उन्होंने कहा कि वे पहले भी यह बात कह चुके हैं कि उन्होंने समिति में कभी धन जमा नहीं करवाया। उन्होंने कहा कि वे आयकर विभाग के गोवा स्थित पंचाट में इस फैसले को चुनौती देंगे।
एक सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत मुलगुंड की मांग है कि सरकार और चुनाव आयोग को पूर्व विधायक के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे हमेशा इस बात को लेकर सशंकित रहे हैं कि पाटिल भ्रष्ट हैं। अब आयकर विभाग के फैसले से यह बात साबित हो गई है। अब सरकार और चुनाव आयोग को कार्रवाई करना चाहिए।
कर्नाटक बंद को कई संगठनों ने दिया अपना समर्थन
महादयी नदी जल बंटवारा विवाद के समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप की मांग को लेकर 25 जनवरी को आयोजित कर्नाटक बंद को कर्नाटक राज्य दलित तथा पिछड़ा वर्गों के संगठनों ने अपना समर्थन देने की घोषणा की है।
संयुक्त मंच के अध्यक्ष एच. वेणुगोपाल ने इस बंद में दलित तथा पिछड़े समुदाय के लोगों को यह बंद सफल कराने की अपील की है।