१०वीं प्रारंभिक परीक्षा में 90 फीसदी से ऊपर अंक लाने वाले विद्यार्थियों को पीयू कॉलेज आराम से प्रवेश दे रहे हैं। जबकि यूजी कॉलेजों का तर्क है कि पीयूसी परीक्षा परिणाम आने के बाद वे प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन करेंगे। कई कॉलेज तो अभिभावकों को ये भरोसा तक दे रहे हैं कि कम अंक आने या बाद में प्रवेश नहीं लेने वाले बच्चों की फीस वे लौटा देंगे। इन सबके बीच ऐसे कॉलेजों की कमी भी नहीं है जो बच्चों व अभिभावकों को उनके मोबाइल पर संदेश भेज उनके यहां उपलब्ध सीटों व पाठ्यक्रमों की जानकारी दे रहे हैं। नियमानुसार परिणाम आने के बाद ही कॉलेज प्रवेश संबंधित विज्ञापन जारी कर सकते हैं।
सबूत व लिखित शिकायत पर ही कार्रवाई
सीट ब्लॉकिंग का खेल जारी है। शिक्षा विभाग को इसकी जानकारी भी है। लेकिन विभाग खुद को मजबूर बता रहा है।डीपार्टमेंट ऑफ प्री-यूनिवर्सिटी एजुकेशन बोर्ड की निदेशक सी. शिखा का कहना है कि सबूत के साथ लिखित शिकायत मिलने पर ही बोर्ड कार्रवाई कर सकता है। अभिभावक चाहें तो शिकायत दर्ज करा सकते हैं।नियमों का उल्लंघन कर रहे कॉलेजों पर विभाग की नजर भी है। गत वर्ष कुछ कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई थी। बावजूद इसके कॉलेज अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। अभिभावक भी मनचाहे कॉलेजों में बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।