सरकार कृषि ऋण माफ करने, फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने सहित किसानों के हित में कई कदम उठा रही है। खेती का लाभ का धंधा बनाने के लिए विज्ञानियों को नए कार्यक्रम बनाने होंगे। प्रदेश में अधिकांश क्षेत्रों में भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है, ऐसे में जैवकि कृषि को प्रमुखता देना वक्त की जरूरत है। रसायनों का अत्यधिक इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य पर असर पडऩे लगा है। जैविक कृषि से संंबंधित अधिक अनुसंधान की जरूरत है।
कृषि मंत्री एन.एच. शिवशंकर रेड्डी ने कहा कि आज भारत और विदेश में मिलेट्स की काफी मांग है। भारत विश्व का प्रमुख मिलेट्स निर्यातक देश है। इसमें प्रदेश की अहम भूमिका है। प्रदेश में लगभग डेढ़ लाख हेक्टेयर में मिलेट्स का उत्पादन किया जाता है। खाड़ी देशों सहित अन्य देशों ने मिलेट्स को आयात करते समय गुणवत्ता को प्रमुखता देने का अनुरोध किया है। इसलिए मिलेट्स की गुणवत्ता की जांच के लिए उत्पादक संघों को लेकर एक महासंघ बनाने पर विचार किया जा रहा है। इंदिरा कैंटीन में भी मिलेट्स का भोजन उपलब्ध करवाया जाएगा। बेंगलूरु और सभी जिलों तथा तहसीलों में मिलेट्स अनाजों की विशेष दुकानें खोली जाएंगी। मिलेट्स के कारोबार के लिए विशेष लोगो (शुभंकर) तैयार किया जाएगा। मिलेट्स के खेती में नुकसान हुआ तो एक हेक्टेयर के लिए ४० हजार रुपए सब्सिडी देने का फैसला किया जाएगा। इस अवसर पर ग्रामण विकास एवं पंचायत राज मंत्री कृष्णा बैरेगौड़ा, बागवानी मंत्री एम.सी. मनगोली, वेंकटराव नाडगौड़ा, केरल के कृषि मंत्री सुशील कुमार, महापौर गंगाम्बिका आदि उपस्थित थे।