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एचएएल की हड़ताल से पीएमओ और रक्षा मंत्रालय की चिंता बढ़ी

locationबैंगलोरPublished: Oct 19, 2019 12:24:22 am

Submitted by:

Priyadarshan Sharma

HAL strike raises concerns of PMO and Ministry of Defense
एचएएल में हड़ताल का पांचावां दिन

एचएएल की हड़ताल से पीएमओ और रक्षा मंत्रालय की चिंता बढ़ी

HAL

बेंगलूरु. रक्षा क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के प्रबंधन और कर्मचारी यूनियन के बीच वेतन पुनरीक्षण के मामले का समाधान पांचवें दिन भी नहीं हुआ। कर्नाटक सहित एचएएल की देश की सभी इकाइयों में लगातार पांचवें दिन शुक्रवार को भी काम पूरी तरह ठप रहा।
इस बीच, एचएएल प्रबंधन ने शुक्रवार को दावा किया कि मीडिया के एक वर्ग में कर्मचारी यूनियनों की ओर से आया बयान कि कुछ कर्मचारियों को वेतन में संशोधन के बाद कम वेतन मिलेगा पूरी तरह भ्रामक है। एचएएल प्रवक्ता गोपाल सुतार ने कहा कि एचएएल प्रबंधन की ओर से यूनियन को कर्मचारियों के वेतन को 9 प्रतिशत से 14 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया है। यह भी गारंटी दी गई है कि कोई कर्मचारी अपने भत्ते पर नहीं खोएंगे। इसलिए कर्मचारियों को भ्रामकता से बाहर आना चाहिए और उन्हें वेतन पुनरीक्षण पर उचित समझ रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की यह हड़ताल श्रम प्राधिकरण के अनुसार अवैध है, इसलिए हमें उम्मीद है कि सभी कर्मचारी सभी हितधारकों के हित में काम पर लौटेंगे।
वहीं, रक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने इस हड़ताल को एचएएल के भविष्य के लिए बेहद चिंताजनक बताया है। अगर हड़ताल और ज्यादा दिनों तक खिंची तो इससे एचएएल की साख पर असर पड़ेगा। कंपनी पहले ही नए ऑर्डरों के नहीं होने से परेशान है और अब अगर रक्षा उत्पादन ठप रहा तो देश के साथ ही कंपनी पर भी प्रतिकूल असर होगा।
एचएएल कर्मचारियों की हड़ताल से देश के रक्षा उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ता दिख रहा है। कई लड़ाकू विमानों का निर्माण और रखरखाव काम अटक जाने से आने वाले दिनों में तीनों सेनाओं के सामने नई मुसीबत खड़ी हो सकती है। साथ ही इससे देश की छवि को भी नुकसान पहुंचता है। सूत्रों के अनुसार इन्हीं कारणों से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और रक्षा मंत्रालय की चिंताएं बढ़ गई है। कथित रिर्पोटों के अनुसार पीएमओ की ओर से एचएएल चेयरमैन को वेतन पुनरीक्षण का जल्द निपटान तलाशने के उपाय करने कहा गया है। हालांकि एचएएल चेयरमैन आर माधवन की ओर से पीएमओ से किसी निर्देश पर कुछ नहीं कहा गया है जबकि एचएएल प्रवक्ता भी इस पर कुछ नहीं कह रहे हैं।
राजनीतिक दल हुए सक्रिय
हड़ताल के कारण न सिर्फ एचएएल में उत्पाइन ठप हुआ है बल्कि कंपनी की साख पर प्रतिकूल असर होगा। हालांकि सरकार की ओर से अब तक सीधे तौर पर हड़ताल खत्म कराने को लेकर कोई पहल नहीं की गई है। वहीं, विपक्षी दलों ने अब इसे मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को नासिक में एनसीपी नेता शरद पवार ने हड़ताली कर्मचारियों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, कर्मचारियों की मांगों के समाधान के लिए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद नई दिल्ली में बैठक की जाएगी। अगले आठ दिनों में चुनाव समाप्त हो जाएंगे। उसके बाद कर्मचारी यूनियन अपने स्तर पर बेंगलूरु, नासिक और लखनऊ से दो दो प्रतिनिधियों का चयन करे। पवार ने कह कि वे उस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं और दिल्ली में समाधान तलाशने पर चर्चा की जाएगी।
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