प्रवचन में कहा कि कठिनाइयों से डर कर कार्य को छोडऩा नहीं चाहिए। जो आदमी विघ्न बाधाओं के डर से कार्य को शुरू नहीं करता वह निम्न श्रेणी का होता है। जो व्यक्ति अच्छा कार्य शुरू कर देता है, पर बाधा आने पर उसे छोड़ देता है, वह मध्यम श्रेणी का होता है और उत्तम श्रेणी का वह होता है जो कार्य करता है और उसे छोड़ता नहीं। हमें उत्तम श्रेणी का आदमी बनना चाहिए। जो रास्ता मंजिल तक ले जाने वाला है, उस पर कठिनाइयों-विपदाओं को झेलने का साहस होना चाहिए।
आचार्य ने श्रावकों को सम्यकत्व दीक्षा स्वीकार करवाई। मुनि कोमल कुमार ने विचार व्यक्त किए।
आचार्य ने श्रावकों को सम्यकत्व दीक्षा स्वीकार करवाई। मुनि कोमल कुमार ने विचार व्यक्त किए।