अग्रिम जमानत पर सुनवाई 12 नवंबर तक टली
पूर्व मंत्री जी जनार्दन रेड्डी को अदालत से राहत नहीं
अग्रिम जमानत पर सुनवाई 12 नवंबर तक टली
बेंगलूरु. एक पोंजी घोटाले में करोड़ों रुपए के लेन-देन के मामले में फरार पूर्व मंत्री जी जनार्दन रेड्डी को शुक्रवार को निचली अदालत से राहत नहीं मिल पाई। अदालत ने रेड्डी की अग्रिम जमानज अर्जी पर सुनवाई 12 नवम्बर तक स्थगित कर दी। इस बीच, रेड्डी ने अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर की। उधर, बेंगलूरु पुलिस की केंद्रीय अपराध शाखा (सीसीबी) ने शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन भी रेड्डी की तलाश जारी रखी लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
सिटी सिविल व सत्र अदालत ने शुक्रवार को रेड्डी की अग्रिम जमानत अर्जीपर संक्षिप्त सुनवाई की लेकिन सीसीबी के आपत्ति दायर करने के लिए अधिक वक्त की मांग करने के बाद सुनवाई 12 नवम्बर तक स्थगित कर दी। अदालत के जज वी शिरहट्टी ने कहा कि वे लोक अभियोजक की दलीलों को सुने बिना अग्रिम जमानत के बारे में फैसला नहीं दे सकते हैं।
जज ने रेड्डी के वकील से कहा कि इतनी जल्दीबाजी क्या है, रेड्डी को मामले की जांच कर रहे अधिकारी के सामने पहले पेश होना चाहिए। इस पर रेड्डी के वकील सीबीसी की ओर जारी एक प्रेस विज्ञप्ति को पेश करते हुए कहा कि जांच एजेंसी का कहना है कि वे रेड्डी को तलाश रही है। इस पर जज ने कहा कि अदालत प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर अग्रिम जमानत नहीं देती है। अदालत ने सीबीसी की ओर से पेश हुए लोक अभियोजक को रेड्डी की अर्जी पर आपत्ति दायर करने के लिए नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई सोमवार तक स्थगित कर दी।
रेड्डी ने एंबिडेंट कंपनी प्रकरण में शामिल होने के आरोप में उनके खिलाफ दर्ज मामला रद्द करने के लिए शुक्रवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। रेड्डी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इस प्रकरण के जांच अधिकारी डीसीपी गिरीश व एसीपी वेंकटेश प्रसन्ना को बदलने तथा उनके खिलाफ दर्ज मामला रद्द करने की अपील की है।
रेड्डी के वकील सी.चंद्रशेेखर ने रेड्डी की तरफ से दायर याचिका में आरोप लगाया कि जांच अधिकारी डीसीपी गिरीश व एसीपी वेंकटेश प्रसन्ना ने इस प्रकरण में गिरफ्तार लोगों पर दबाव डालकर बयान दिलाए और उनको जान बूझकर इस केस में फंसाया है। जनार्दन रेड्डी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए पहले ही न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दायर कर दी।
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