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बैंगलोर

हेमावती के पानी का मुद्दा कहीं फेर न दे उम्मीदों पर पानी

परंपरागत हासन लोकसभा क्षेत्र पौत्र प्रज्वल रेवण्णा और सबसे सुरक्षित मंड्या लोकसभा क्षेत्र दूसरे पौत्र निखिल गौड़ा को सौंपने के बाद तूमकुरु लोकसभा क्षेत्र से खुद चुनाव मैदान में उतरे जनता दल (एस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एच.डी.देवगौड़ा की राह इस बार उतनी आसान नहीं होगी।

बैंगलोरMar 27, 2019 / 02:35 am

शंकर शर्मा

हेमावती के पानी का मुद्दा कहीं फेर न दे उम्मीदों पर पानी

हेमावती के पानी का मुद्दा कहीं फेर न दे उम्मीदों पर पानी

संजय कुलकर्णी

बेंगलूरु. परंपरागत हासन लोकसभा क्षेत्र पौत्र प्रज्वल रेवण्णा और सबसे सुरक्षित मंड्या लोकसभा क्षेत्र दूसरे पौत्र निखिल गौड़ा को सौंपने के बाद तूमकुरु लोकसभा क्षेत्र से खुद चुनाव मैदान में उतरे जनता दल (एस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एच.डी.देवगौड़ा की राह इस बार उतनी आसान नहीं होगी।


अपने राजनीतिक सफर के अंतिम चुनावी जंग में उतरे देवगौड़ा को इस बार कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, तूमकुरु लोकसभा क्षेत्र में देवगौड़ा से जुड़े कई ऐसे विवादास्पद मामले दबे हैं जिसकी परत चुनावी अखाड़े में खुल सकती है। ये मामले ‘मण्णिनमगा’ (धरती पुत्र) कहे जाने वाले मजे और दिग्गज राजनेता देवगौड़ा के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। क्षेत्र में सबसे संवेदनशील मामला है हेमावती नदी के पानी के बंटवारे का। तूमकुरु जिले की जनता पिछले 25 वर्षों से हेमावती के पानी का इंतजार कर रही है।

इस नदी के पानी के आवंटन फार्मूले के अनुसार तूमकूरु को हेमावती बांध से 24 टीएमसी पानी मिलना चाहिए। इसके लिए नहर का निर्माण भी पूरा हो गया है। तूमकुरु जिले के निवासियों का आरोप है कि इन नहरों में पानी नहीं बहने के लिए लोकनिर्माण मंत्री एच.डी.रेवण्णा जिम्मेदार है। लिहाजा इस मामले को लेकर क्षेत्र में देवेगौड़ा परिवार के खिलाफ आक्रोश है।


यह बात तय है कि विपक्षी भाजपा इस संवेदनशील मामले को चुनाव प्रचार में जोर-शोर से भुनाएगी। देवगौड़ा को यह बताना पड़ेगा कि हेमावती नदी के पानी के बंटवारे को लेकर तूमकुरु जिले के साथ हुए अन्याय को कैसे दूर करेंगे। देवगौड़ा परिवार ने अभी तक इसमें क्या योगदान किया है? तूमकुरु जिले की कृषि पूर्णत: बारिश पर निर्भर है। जिले के लिए पेयजल तथा सिंचाई के लिए हेमावती योजना संजीवनी बन कर सामने आई थी।

इस योजना का लाभ अभी केवल मंड्या तथा हासन जिलों को मिल रहा है वहीं तूमकुरु जिले को अभी तक इस योजना के लाभ से वंचित रखा गया है। यह मामला कृषि से जुड़ा होने के कारण स्थानीय वोक्कलिगा समुदाय के साथ-साथ विभिन्न समुदायों के किसानों का भी देवगौड़ा को विरोध का सामना करना पड़ सकता है। किसानों की नाराजगी देवगौड़ा के लिए मंहगी साबित हो सकती है।


गठबंधन में बगावत
देवगौड़ा की दूसरी समस्या है गठबंधन के साथी कांग्रेस नेताओं की बगावत। कांग्रेस का सांसद होने के बावजूद यह सीट जनता (दल) को आवंटित की गई। इससे स्थानीय कांग्रेस नेता नाराज चल रहे हैं। सांसद एस.पी.मुद्दहनुमेगौड़ा ने तो पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए नामांकन पत्र दाखिल किया है।

उप मुख्यमंत्री डॉ जी.परमेश्वर के तमाम प्रयासों के बावजूद मुद्दहनुमेगौड़ा अपनी हठ पर कायम हैं। उनके अलावा जिले के वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक के.एन.राजण्णा भी खुश नहीं हैं। उन्होंने देवगौड़ा से इस क्षेत्र में कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडऩे की मांग की है साथ में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र भी दाखिल किया है। कांग्रेस नेताओं के तेवर देखकर ऐसा लगता है कि गठबंधन का पूरा लाभ हासिल करना भी देवगौड़ा के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।


आसान नहीं होगी राह
इन समस्याओं के साथ-साथ देवेगौड़ा को यहां लिंगायत समुदाय के कद्दावर नेता और भाजपा प्रत्याशी जीएस बसवराजू की कड़ी चुनौती है। बसवराजु इस क्षेत्र से 4 बार सांसद रह चुके है। इसके अलावा क्षेत्र में भाजपा के 4 विधायक होने के कारण यहां भाजपा की चुनौती को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस क्षेत्र के तिपटुर, तूमकूरु शहर तथा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों में लिंगायत समुदाय के मतदाताओं की संख्या निर्णायक है। ऐसे में यह मुकाबला वोक्कलिगा बनाम लिंगायत होने की स्थिति में देवेगौड़ा की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।


कुल मिलाकर देवेगौड़ा के सामने इस क्षेत्र में कांग्रेस नेताओं की बगावत, हेमावती नदी के पानी का बंटवारा, कुरुबा समुदाय की नाराजगी तथा लिंगायत समुदाय का विरोध चार बड़ी चुनौतियां है। हालांकि, देवेगौडा विषम स्थितियों के बीच भी संघर्ष करने के लिए माहिर है। इस चुनाव में उनके राजनीतिक कौशल की परीक्षा होगी। 7 दशकों की सक्रिय राजनीति में देवेगौड़ा ने ऐसी कई विषम स्थितियों के साथ संघर्ष कर अपना दबदबा बरकरार रखा है।

नाराज है कुरुबा समुदाय
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में वोक्कलिगा समुदाय ने लामबंद होकर मैसूरु जिले के चामुंडेश्वरी विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या को हरा दिया था। सिद्धरामय्या की इस हार में मैसूरु जिले के वोक्कलिगा समुदाय के नेता जीटी देवेगौड़ा ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। इस कारण तूमकूर जिले का कुरुबा समुदाय सिद्धरामय्या की हार के लिए जद (एस) को जिम्मेदार मान रहा है। तुमकूरु लोकसभा क्षेत्र में 1 लाख 50 हजार से अधिक कुरुबा मतदाता हैं, जिनका विश्वास हासिल करना देवेगौड़ा के लिए बड़ी चुनौती होगी।

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