अदालत ने राज्य प्रशासन को इसमें हर संभव सहयोग करने को कहा है। जज ने कहा कि जेल या जेल से बाहर अगर इस जोड़े को रहने की इजाजत दी जाती है तो इसका खर्चा राज्य के कोष पर ही पड़ेगा। यह जनहित में नहीं है। कोर्ट ने दंपत्ति पर लगाया गया 6 4 हजार के जुर्माने को रद्द कर दिया। वहीं दो मामलों में उनके खिलाफ सुनाई गई 21 माह कैद की सजा चलती रहेगी। जानकारी के मुताबिक कासिफ और अली तीन साल पहले पाकिस्तान से भागकर भारत आ गए। कासिफ यहां हॉपकॉम्स में काम भी किया और कुमारस्वामी ले-आउट में एक किराए के मकान पर रहा। उसके साथ दो और लोग रहते थे। उन्होंने आधार कार्ड भी हासिल कर लिया।
पुलिस ने इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के विदेशी अधिनियम और भारतीय पासपोर्ट अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। 27 अप्रेल 2018 को 44 वें अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने इन्हें दोषी करार देते हुए 21 महीने कैद की सजा सुनाई। बाद में 4 जनवरी 2019 को तीसरे अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने भी उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और आधार एक्ट के तहत दोषी करार दिया और 21 महीने की सजा सुनाई। दंपत्ति ने जल्दी रिहाई की उम्मीद में अदालत का दरवाजा खटखटाया था।