हर दिन 10-12 लोग मांगते हैं मदद
आनंद और निर्जरा की बेलगावी (Belgavi) सहित पड़ोसी राज्यों में भी मांग है। दोनों सांपों पर व्याख्यान भी देते हैं। कर्नाटक (Karnataka), महाराष्ट्र (Maharashtra) और गोवा (Goa) के स्कूल-कॉलेज सहित वे सार्वजनिक स्थलों पर जन जागरूकता कार्यक्रमों में 700 से ज्यादा व्याख्यान दे चुके हैं। आनंद बताते हैं कि काम इतना बढ़ गया है कि उन्हें और उनकी पत्नी को अलग-अलग बचाव अभियान में जाना पड़ता है। हर दिन 10-12 लोग मदद के लिए बुलाते हैं।
स्नेक लेडी के नाम से भी मशहूर हैं निर्जरा
निर्जरा ने बताया कि शादी से पहले उनका इस क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं था। आनंद पहले से ही सर्प को पकड़ कर उसे बचाने का काम करते थे। शादी के बाद आनंद ने उन्हें यह हुनर सिखाया। पांच वर्ष तक प्रशिक्षित किया। गत छह वर्ष से सांपों को पकड़ रहीं निर्जरा स्नेक लेडी (Snake Lady) के नाम से भी मशहूर हैं। निर्जरा कई बार अकेले ही सांपों को बचाने निकल पड़ती हैं। निर्जरा बताती हैं कि महिला होने के नाते लोग कई बार सांप पकडऩे की उनकी काबिलियत पर संदेह भी करते हैं। लेकिन उन्हें तेजी से रेंगते या छिप कर बैठे सांपों को पकड़ते देख लोग हैरान रह जाते हैं।
जो खुशी मिले, वही कमाई
आनंद बताते हैं कि बचपन से ही वे हर वो काम करना चाहते थे, जिससे आम लोग कतराते या डरते हैं। इसी क्रम में खेल-खेल में उन्होंने सांप पकडऩा शुरू कर दिया। जो बाद में जुनून बन गया। सांप पकडऩा उनका पेशा या नौकरी नहीं है। लेकिन घर भी चलाना है। सांप पकडऩे के बाद वे किसी से कुछ मांगते नहीं हैं। खुशी से लोग जो दे देते हैं, वही उनकी कमाई होती है।