आज बहुत से लोग हैं, जो अरबों-खरबों कमाते हैं और उस दौलत का एक-आध प्रतिशत दान-दक्षिणा के रूप में खर्च करके प्रशंसा अथवा सम्मान पाना चाहते हैं। ऐसे लोग न तो लोगों के दिलों में स्थान बना सकते हैं और न ही ऐसे नेक कार्यों से उन्हें लाभ मिल सकता है। जो लोग सेवाभाव व प्यार से लोगों का दिल जीतना जानते हैं, उन्हें ही वास्तविक प्रशंसा अथवा शोहरत मिलती है।
आचार्य ने कहा कि बहुत ही दुखद बात है कि समाज जिन लोगों को आदर और प्यार देता है, वे ही उसका प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से शोषण करने में लगे रहते हैं।
आचार्य ने कहा कि बहुत ही दुखद बात है कि समाज जिन लोगों को आदर और प्यार देता है, वे ही उसका प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से शोषण करने में लगे रहते हैं।
यदि शोहरत की कामना है तो वास्तव में नेक काम करने होंगे। नेक काम करने से बेशक शोहरत न मिले, लेकिन व्यक्ति को अच्छा अनुभव होता है। यह अनुभूति शोहरत से बढक़र होती है। यदि नेक काम के बिना भी शोहरत मिल जाती है तो वह बेमानी है। उससे हमें लाभ नहीं हो सकता। अपने बारे में गलत धारणाएं बन जाएंगी, जिससे अहंकार में वृद्धि ही होगी। इसलिए शोहरत की कामना के बिना नेक काम करना ही श्रेयस्कर होगा, इसमें संदेह नहीं।