दरअसल, भारतीय ड्रोन उद्योग चीन में निर्मित ड्रोन या वहां से आयातित उपकरणों पर काफी हद तक निर्भर है। घरेलू ड्रोन उद्योग में चीनी कंपनी ‘डीजेआई ड्रोन’ का एकाधिकार है जिसे सरकार तोडऩा चाहती है। एक उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी के अनुसार ‘शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों के बीच अंतर खत्म कर ड्रोन निर्माण तंत्र को बेहतर बनाया जाएगा। यह अवधारणा नीति आयोग ने विकसित की है। इसके तहत ड्रोन फॉर इंफ्रा सिक्योरिटी हेल्थ एंड एग्रीकल्चर (दिशा) फंड गठित किया जाएगा। फंड से उन ड्रोन निर्माताओं और अनुसंधानकर्ताओं को वित्तीय सहायता दी जाएगी जिनके पास ड्रोन उपयोग की अवधारणा है और वह व्यवसायिक उपयोग में तब्दील करने का इरादा रखता है। फंड का प्रबंधन करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से संपर्क करेगा।
पीएम ने जताई आवश्यकता
सूत्रों के अनुसार खरीफ फसल को नुकसान पहुंचाने वाले टिड्डियों के खिलाफ ड्रोन के सफल प्रयोग के बाद पीएम मोदी ने इस फंड की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने चीन के 59 ऐप पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद मोबाइल एप्लीकेशन इनोवेशन चैलैंज की भी घोषणा की है। अब नीति आयोग ने विजन दस्तावेज में मानवरहित हवाई प्रणाली के विकास को प्राथमिकता दी है।
सूत्रों के अनुसार खरीफ फसल को नुकसान पहुंचाने वाले टिड्डियों के खिलाफ ड्रोन के सफल प्रयोग के बाद पीएम मोदी ने इस फंड की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने चीन के 59 ऐप पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद मोबाइल एप्लीकेशन इनोवेशन चैलैंज की भी घोषणा की है। अब नीति आयोग ने विजन दस्तावेज में मानवरहित हवाई प्रणाली के विकास को प्राथमिकता दी है।
…तो ड्रोन कैपिटल होता इंडिया
चेन्नई अन्ना विश्वविद्यालय में अब्दुल कलाम उन्नत यूएवी अनुसंधान केंद्र के निदेशक के.सेंथिल कुमार ने कहा कि वित्तीय सहायता और नियमों को सरल बनाए जाने से कारोबारी निवेश के लिए प्रोत्साहित होंगे। सेंथिल की टीम ने एक मोटर-संचालित ड्रोन का निर्माण किया था जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर टिड्डियों के खिलाफ किया जा रहा है। साल 2012 में सेंथिल की टीम ने अमरीकी सेना द्वारा आयोजित एक वार्षिक प्रतियोगिता भी जीती थी। उनका कहना है कि अगर उस समय भारत में वित्त पोषण की ऐसी कोई व्यवस्था होती तो भारत चीन को पछाड़कर ड्रोन कैपिटल बन गया होता। ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया का भी कहना है कि सरकार को इस क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। फेडरेशन का गठन वर्ष 2017 में हुआ था और अब इसमें अदाणी, टाटा जैसी बड़ी कंपनियों के साथ ही 2 हजार से अधिक स्टार्टअप हैं।
चेन्नई अन्ना विश्वविद्यालय में अब्दुल कलाम उन्नत यूएवी अनुसंधान केंद्र के निदेशक के.सेंथिल कुमार ने कहा कि वित्तीय सहायता और नियमों को सरल बनाए जाने से कारोबारी निवेश के लिए प्रोत्साहित होंगे। सेंथिल की टीम ने एक मोटर-संचालित ड्रोन का निर्माण किया था जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर टिड्डियों के खिलाफ किया जा रहा है। साल 2012 में सेंथिल की टीम ने अमरीकी सेना द्वारा आयोजित एक वार्षिक प्रतियोगिता भी जीती थी। उनका कहना है कि अगर उस समय भारत में वित्त पोषण की ऐसी कोई व्यवस्था होती तो भारत चीन को पछाड़कर ड्रोन कैपिटल बन गया होता। ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया का भी कहना है कि सरकार को इस क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। फेडरेशन का गठन वर्ष 2017 में हुआ था और अब इसमें अदाणी, टाटा जैसी बड़ी कंपनियों के साथ ही 2 हजार से अधिक स्टार्टअप हैं।
आत्मनिर्भरता के लिए कदम
फंड से ड्रोन स्टार्टअप को पहुंचाई जाएगी मदद
इनोवेशन के लिए प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से साझेदारी
बड़ी कंपनियां भी दिखा रही हैं रुचि
ड्रोन के लिए आवश्यक सेमीकंडकर और बैटरियां बनती हैं चीन में
लॉकडाउन में आपूर्ति बाधित हुई तो काम आए मोटर चालित स्वदेशी ड्रोन
फंड से ड्रोन स्टार्टअप को पहुंचाई जाएगी मदद
इनोवेशन के लिए प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से साझेदारी
बड़ी कंपनियां भी दिखा रही हैं रुचि
ड्रोन के लिए आवश्यक सेमीकंडकर और बैटरियां बनती हैं चीन में
लॉकडाउन में आपूर्ति बाधित हुई तो काम आए मोटर चालित स्वदेशी ड्रोन