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बैंगलोर

भाविसं के दो प्रोफेसर को इंफोसिस विज्ञान पुरस्कार

पुरस्कार का लक्ष्य युवा मानस को प्रेरित करना है ताकि वे विज्ञान को भी कॅरियर के विकल्प के तौर पर देखें और देश में इनोवेशन को बढ़ावा दें।

बैंगलोरNov 14, 2018 / 08:34 pm

Ram Naresh Gautam

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भाविसं के दो प्रोफेसर को इंफोसिस विज्ञान पुरस्कार

बेंगलूरु. विज्ञान एवं अनुसंधान के विभिन्न वर्गों में दिएजाने वाले इंफोसिस विज्ञान पुरस्कार 2018 की घोषणा मंगलवार को कर दी गई। सूचना-प्रौद्योगिकी की अग्रणी कंपनी के विज्ञान न्यास इंफोसिस साइंस फाउंडेशन की ओर से हर वर्ष यह पुरस्कार छह वर्गों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों/प्रोफेसरों को प्रदान किया जाता है।
इंफोसिस साइंस फाउंडेशन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार वार्षिक पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण पदक, एक प्रशस्ति पत्र और एक लाख डॉलर (या इसके बराबर रुपए) का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
फाउंडेशन के न्यासी एवं इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने कहा कि भारत को विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन के एक केन्द्र के तौर पर अपनी पहचान बनाने की आवश्यकता है।

इंफोसिस पुरस्कार का उद्देश्य कुछ बेहद प्रतिभावान वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं को सम्मानित करना है तथा देश में विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्टता की तलाश करना है।
फाउंडेशन ने कहा कि जाने-माने वैज्ञानिकों और प्रोफेसरों की छह सदस्यीय निर्णायक मंडली ने छह वर्गों में 244 नामांकनों में से विजेताओं का चयन किया।

इन अनुसंधानकर्ताओं को पहचान दिलाने और उनकी उपलब्धियों की सराहना करने के उद्देश्य से शुरू किए गए इंफोसिस पुरस्कार का लक्ष्य युवा मानस को प्रेरित करना है ताकि वे विज्ञान को भी कॅरियर के विकल्प के तौर पर देखें और देश में इनोवेशन को बढ़ावा दें।
फाउंडेशन के अध्यक्ष के. दिनेश ने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय और उद्योग के बीच समन्वय बेहतर कर आधुनिक विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र में इनोवेशन को सही दिशा देने के लिए तत्पर हैं।

आज का विज्ञान ही आखिरकार कल की प्रौद्योगिकी है। जैव रसायन में में अपने अनुसंधान पर आधारित अनूठे बायोसेंसर और गैसीय सेंसर की डिजाइन पर काम के लिए बेंगलूरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) में प्रोफेसर नवकांत भट को इंजीनियरिंग और कम्प्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में यह पुरस्कार दिया गया।
फाउंडेशन ने कहा है कि भट ने अंतरिक्ष एवं पर्यावरणीय निगरानी के लिए आवश्यक अत्यंत सटीक तरीके से पता लगाने वाला गैस सेंसर विकिसित किया है, जो भारत के उभरते अंतरिक्ष, आणविक ऊर्जा और सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए उपयोगी होगा।
नई दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ आट्र्स एंड ऐस्थेटिक्स की प्रोफेसर एवं डीन कविता सिंह को मुगल, राजपूत और दक्कन कला के क्षेत्र में उनके अध्ययनों को मान्यता देते हुए मानविकी के क्षेत्र में पुरस्कार के लिए चुना गया है।
जीवन विज्ञान के लिए पुरस्कार रूप मलिक को दिया गया है। मलिक मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रीसर्च (टीआईएफआर) में डिपार्टमेंट ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।

मलिक को यह पुरस्कार जीवित कोशिकाओं की कार्यप्रणाली के लिए अहम मॉलेक्यूलर मोटर प्रोटीन पर उनके कार्यों के लिए दिया गया।
फ्रांस के स्ट्रासबर्ग विश्वविद्यालय में ‘इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडीÓ में प्रोफेसर एवं चेयर ऑफ मैथेमैटिक्स नलिनी अनंतरमण को ‘क्वांटम केओसÓ से संबंधित उनके कार्य के लिए गणितीय विज्ञान वर्ग में पुरस्कार दिया गया है।
वहीं भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में यह पुरस्कार बेंगलूरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) में वायुमंडलीय एवं महासागरीय विज्ञान केन्द्र में प्रोफेसर एस.के. सतीश को दिया गया। उन्हें जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में उनके कार्यों को मान्यता देते हुए इस पुरस्कार के लिए चुना गया है।
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