बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील एम. ने बताया कि मां में आयोडीन की कमी (Iodine deficiency) से पैदा होने वाले बच्चे का शारीरिक विकास भी पूरा नहीं हो पाता है। भ्रूण के समुचित विकास के लिए आयोडीन एक जरूरी पोषक तत्व है। आयोडीन शिशु के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बौद्धिक क्षमता भी कम रह जाती है। गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क सेल के विकास में बाधा पहुंचती है। जिसके कारण घेंघा रोग, मंदबुद्धि, अपंगता, बौनापन, बहरापन, गूंगापन, भैंगापन, बार-बार गर्भपात और मृत शिशु पैदा होने जैसी समस्याएं पैदा होती हैं।
उन्होंने बताया कि आयोडीन की कमी से रक्त में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ता है। आयोडीन के इस्तमाल के प्रति लोगों को जागरूक करना जरूरी है। स्कूल, कॉलेज, जिला अस्पताल, तालुक अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आदि जगहों पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।
डॉ. सुनील के अनुसार नमक में आयोडीन कम से कम 15 पीपीएम (पाट्र्स पर मिलियन) होना चाहिए। फैक्ट्रियों में तैयार नमक में आयोडीन 30 पीपीएम होना चाहिए, ताकि आम उपभोक्ता तक पहुंचते तक 15 पीपीएम आयोडीन मौजूद रहे। भोजन में हमेशा आयोडीन नमक का ही प्रयोग करना चाहिए। नमक को हमेशा किसी चीज से ढक कर रखें, ताकि आयोडीन के तत्व नष्ट ना हो सकें।