scriptउपग्रहों के साथ सेंसर और राडारों ने बचाया केरल को | ISRO Doppler Weather Radars Role in the Kerala Flood Rescue Operation | Patrika News
बैंगलोर

उपग्रहों के साथ सेंसर और राडारों ने बचाया केरल को

सी और एस बैंड डॉप्लर राडार की रही अहम भूमिका, कारगर साबित हुए अंतरिक्ष और जमीनी केंद्रों के सेंसर

बैंगलोरSep 07, 2018 / 05:34 pm

Rajeev Mishra

isro

उपग्रहों के साथ सेंसर और राडारों ने ऐसे बचाया केरल को

बेंगलूरु. दक्षिण पश्चिम मानसून के विकराल रूप धारण करने से केरल में आए विनाशकारी बाढ़ के दौरान राहत एवं बचाव कार्य में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उपग्रहों और राडारों ने अहम भूमिका निभाई। अंतरिक्ष में स्थापित उपग्रहों के सेंसर के साथ-साथ जमीन आधारित केंद्रों के राडार-सेंसर ने भी महत्वपूर्ण आंकड़े दिए जिससे सटीक पूर्वानुमान व्यक्त किए गए और सुरक्षा उपायों को सही जगह पहुंचाने में मदद मिली।
इसरो ने कहा है कि इडुक्की, पट्टनमथिट्टा, एर्नाकुलम, त्रिशूर और पलक्कड़ में उम्मीद से काफी अधिक बारिश हुई। सिर्फ 20 दिनों के भीतर इतनी बारिश हुई कि पिछले 87 साल का रिकॉर्ड टूट गया। इडुक्की में तो एक महीने में होने वाली बारिश का पिछले 111 साल का रिकॉर्ड टूटा। राज्य में 123 साल बाद ऐसी आपदा आई जिसमें 370 लोगों की जानें गईं जबकि हजारों अभी भी विस्थापन का दंश झेल रहे हैं। इसरो उपग्रहों ने केरल के बाढ़ प्रभावित इलाकों के चप्पे-चप्पे पर पैनी नजर रखी और जिससे सुरक्षा कदम उठाने में काफी मदद मिली। थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लांच स्टेशन (टीईआरएलएस) तिरुवनंतपुरम, स्थित इसरो के सी-बैंड पोलारिमेट्रिक डॉप्लर मौसम राडार और कोच्चि स्थित एस-बैंड डॉप्लर मौसम राडार ने 500 किमी की परिधि में 24 घंटे सातों दिन लगातार नजर रखी। इन राडारों की स्थापना बेंगलूरु स्थित इसरो टेलीमेट्री टै्रकिंग एवं कमांड नेेटवर्क (इसट्रैक) के राडार विकास क्षेत्र (आरडीए) द्वारा की गई है। इसरो के विभिन्न केंद्रों ने उपग्रहों और राडारों से प्राप्त आंकड़ों की प्रोसेसिंग रीयल टाइम में की और मौसम विभाग तक पहुंचाया जिसपर आपदा प्रबंधन अधिकारी लगातार नजर रख रहे थे।
इसरो ने कहा है कि डॉप्लर मौसम राडार प्रणाली से डिजिटली प्राप्त आंकड़ों ने चक्रवात को सही ढंग से समझाया जिससे उसके प्रभाव का आकलन किया जा सका। मसलन, चक्रवात कितना शक्तिशाली है या उसकी दिशा और उसका प्रभाव क्षेत्र आदि क्या है इसके बारे में जानकारी मिली। इससे तूफान को बेहतर ढंग से समझने, ज्वारीय लहरों की सटीक ऊंचाई मालूम करने, हवा में उत्पन्न विक्षोभ का पता लगाने, बारिश की दर और उससे होने वाले जल जमाव आदि की भी सटीक भविष्यवाणी हुई। इन राडारों के जरिए हर 11 मिनट पर एक बार पूरे क्षेत्र की स्कैनिंग की जा रही थी। अधिकारियों ने इन आंकड़ों और जानकारियों का उपयोग करते हुए फंसे हुए लोगों को समय रहते बचाया।

Home / Bangalore / उपग्रहों के साथ सेंसर और राडारों ने बचाया केरल को

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो