पिछले 31 अगस्त को पीएसएलवी सी-39 की लांचिंग में मिली विफलता के बाद इसरो ने अभी तक कोई मिशन लांच नहीं की है। इस मिशन में इसरो के सामने रॉकेट की विश्वसनीयता साबित करने की चुनौती होगी। हीट शील्ड नहीं खुलने से पिछली लांचिंग में मिली नाकामी के बाद पीएसएलवी की तकनीक को लेकर कुछ सवाल उठाए गए थे। हालांकि, इसरो अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने पीएसएलवी की सफलताओं का हवाला देते हुए कहा था कि इस रॉकेट की तकनीक में कोई खामी नहीं है। फिर भी, कुछ बुनियादी तकनीकों को सुधारने और रॉकेट की मुख्य तकनीकों की नए सिरे से समीक्षा के बाद इसरो फिर एक बार लांचिंग के लिए तैयार है।
दरअसल, पिछले मिशन में पे-लोड फेयरिंग यानी, हीट शील्ड नहीं खुलने के कारण नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस-1एच उसके अंदर फंसा रह गया जो अब अंतरिक्षीय कचरा बनकर धरती की कक्षा में एक अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह की तरह चक्कर काट रहा है। मिशन की विफलता को देखते हुए रॉकेट की कुछ उप-प्रणालियों में सुधार किया गया है और उसके परीक्षण पूरे किए जा चुके हैं। गौरतलब है कि पीएसएलवी ने अभी तक 48 भारतीय और 209 विदेशी उपग्रहों को सफलतापूर्वक धरती की कक्षा में पहुंचाया है जिसमें चंद्र और
मंगल मिशन भी शामिल हैं।