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बैंगलोर

निजी कंपनियों को उत्पादन के लिए तकनीक हस्तांतरित करेगा इसरो

नौवहन उपकरणों के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) गोपनीयता की शर्त पर निजी उद्योगों को तकनीक देनेे को तैयार है

बैंगलोरJan 31, 2018 / 10:03 pm

शंकर शर्मा

ISRO

बेंगलूरु. नौवहन उपकरणों के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) गोपनीयता की शर्त पर निजी उद्योगों को तकनीक देनेे को तैयार है। भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली ‘नाविक’ के अनुप्रयोगों के लिए स्मार्ट फोन सहित अन्य कई तरह के उपकरण तैयार किए जाने हैं जिसकी तकनीक इसरो ने विकसित की है।


दरअसल, नौवहन उपग्रह प्रणाली नाविक के लिए इसरो ने सात उपग्रहों को धरती की कक्षा में स्थापित किया है जिससे अमरीकी नौवहन प्रणाली जीपीएस से भी बेहतर सेवाएं मिलेंगी। सामरिक उपयोग को छोडक़र बाकी क्षेत्रों के लिए इस प्रणाली के जरिए 5 मीटर शुद्धता तक की सेवाएं मिलेंगी। लेकिन, आम आदमी तक नाविक की सेवाएं पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर उपकरणों का वाणिज्यिक उत्पादन करना होगा। इसरो अनुप्रयोग केंद्र ने कहा है कि इसके लिए हार्डवेयर और फर्मवेयर विकसित कर लिया है और भारतीय उद्योगों को गोपनीयता की शर्त पर यह तकनीक देने को तैयार है ताकि इसका बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक उत्पादन हो सके।


इन उपकरणों का उपयोग गहरे समुद्र में दूर तक जाने वाले मछुआरे भी कर सकेंगे। अभी हाल ही में नाविक प्रणाली का प्रयोगिक परीक्षण मछुआरों पर किया गया और फिर एक बार इस महीने के अंत तक 500 मछुआरों के नाव पर इन उपकरणों को लगाकर उसकी जांच की जाएगी। समुद्र में जाने वाले मछुआरों की पोजीशनिंग पता करने, उनसे संचार स्थापित करने तथा वे जहां जा रहे हैं वहां से संभावित फिशिंग जोन कहां हैं, इसका पता लगाने में यह उपकरण बेहद उपयोगी साबित हुए हैं।


इसरो ने कहा है कि वेंडर्स को बैटरी चार्जिंग विकल्प के साथ उपकरण तैयार करना होगा और उसका उत्पादन बड़े पैमाने पर करना होगा। नाविक प्रणाली देश के 1500 किमी के दायरे में प्रभावी होगी और इसका उद्देश्य क्षेत्रीय नौवहन सेवा प्रदान करना है। प्राथमिक सेवाओं के अलावा छोटे चेतावनी संदेश भेजने, प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, भूकंप, सुनामी, चक्रवात या भू-स्खलन के समय पूर्वानुमान और दिशा निर्देश जारी करने में भी इसका उपयोग होगा।

ये विशेष रूप से वैसे क्षेत्रों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा जहां संचार के लिए कोई बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। इन संदेशों को प्राप्त करने के लिए इसरो अनुप्रयोग केंद्र अहमदाबाद ने रिसीवर का विकास किया है। इसे कई उपकरणों पर आजमाया जा चुका है। इसके लिए एक एंड्रायड अनुप्रयोग भी विकसित किया गया है ताकि संदेशों का उपकरणों पर डिस्प्ले किया जा सके।

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