————— अक्षय तृतीया महोत्सव कल
बेंगलूरु. श्वेताम्बर स्थानकवासी बावीस संप्रदाय जैन संघ ट्रस्ट के तत्वावधान में गणेश बाग में साध्वी वीरकांता आदि ४ ठाणा के सान्निध्य में १८ अप्रेल को अक्षय तृतीया महोत्सव एवं श्रमण संघ स्थापना दिवस मनाया जाएगा। संघ मंत्री सम्पतराज मांडोत के अनुसार इस अवसर सुबह 8 बजे से भक्तामर स्तोत्र का जाप और विशेष प्रवचन होगा। प्रवचन पश्चात साध्वी का वर्षीतप का पारणा होगा।
बेंगलूरु. श्वेताम्बर स्थानकवासी बावीस संप्रदाय जैन संघ ट्रस्ट के तत्वावधान में गणेश बाग में साध्वी वीरकांता आदि ४ ठाणा के सान्निध्य में १८ अप्रेल को अक्षय तृतीया महोत्सव एवं श्रमण संघ स्थापना दिवस मनाया जाएगा। संघ मंत्री सम्पतराज मांडोत के अनुसार इस अवसर सुबह 8 बजे से भक्तामर स्तोत्र का जाप और विशेष प्रवचन होगा। प्रवचन पश्चात साध्वी का वर्षीतप का पारणा होगा।
————– साधन और सुविधा के साथ मानसिक संताप भी बढ़ा
बेंगलूरु. जैन संत विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि साधन और सुविधा बढ़ते ही सारे काम आसान तो हो गए लेकिन मानसिक संताप भी खूब बढ़े हैं। उन्होंंने कहा कि गैस स्टोव को जलने में जितना समय लगता है। उससे भी कम समय में व्यक्ति का दिमाग भड़क जाता है। वातानुकूलित कमरे में बैठने के बाद भी मनुष्य का दिमाग ठंडा नहीं रहता है। मानवीय मन कांच से भी अधिक नाजुक बन गया है। थोड़ी सी भी तकलीफ उसे सहन नहीं होती है। शांतिनगर के भोमिया भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य ने कहा कि सुख को प्राप्त करने के लिए साधनों की चाह छोड़कर सद्गुणाों की चाह बढ़ानी होगी। साधनों को पाकर मात्र दुख ही प्राप्त होगा। यदि जीवन में सद्गुण बढ़ेंगे तो धनहीन अवस्था में भी सुख का अनुभव होगा। यदि सद्गुण नहीं हैं तो करोड़ों की संपत्ति में भी दुख ही दुख होगा। मंगलवार को सुबह 8:30 बजे से जैनाचार्य का सामैया त्यागराज नगर में होगा।
बेंगलूरु. जैन संत विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि साधन और सुविधा बढ़ते ही सारे काम आसान तो हो गए लेकिन मानसिक संताप भी खूब बढ़े हैं। उन्होंंने कहा कि गैस स्टोव को जलने में जितना समय लगता है। उससे भी कम समय में व्यक्ति का दिमाग भड़क जाता है। वातानुकूलित कमरे में बैठने के बाद भी मनुष्य का दिमाग ठंडा नहीं रहता है। मानवीय मन कांच से भी अधिक नाजुक बन गया है। थोड़ी सी भी तकलीफ उसे सहन नहीं होती है। शांतिनगर के भोमिया भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य ने कहा कि सुख को प्राप्त करने के लिए साधनों की चाह छोड़कर सद्गुणाों की चाह बढ़ानी होगी। साधनों को पाकर मात्र दुख ही प्राप्त होगा। यदि जीवन में सद्गुण बढ़ेंगे तो धनहीन अवस्था में भी सुख का अनुभव होगा। यदि सद्गुण नहीं हैं तो करोड़ों की संपत्ति में भी दुख ही दुख होगा। मंगलवार को सुबह 8:30 बजे से जैनाचार्य का सामैया त्यागराज नगर में होगा।