गृह एवं विधि मंत्री बसवराज बोम्मई ने यहां बुधवार को कहा कि यह 3 सदस्यीय समिति होगी, जिसमें एक सदस्य सामाजिक विज्ञानी होगी। उन्होंने कहा कि कुरुबा समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत करने की मांग की जा रही है जबकि पंचमशाली लिंगायत श्रेणी 2 ए के तहत आरक्षण की मांग कर रहे हैं। जब इन सभी मांगों को देखते हैं यह पहले से तय कुल आरक्षण सीमा 50 फीसदी से अधिक हो जाती है। यह एक बेहद चुनौतीपूर्ण विषय है। इसलिए इस संबंध में विशेषज्ञों की राय ली जाएगी। यह समिति वर्तमान मांगों के साथ-साथ भविष्य की संभावित मांगों को भी ध्यान में रखकर अपना रिपोर्ट सौंपेगी।
वर्तमान में राज्य के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 32 फीसदी आरक्षण है जबकि अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 3 प्रतिशत आरक्षण है। यह कुल 50 फीसदी आरक्षण की न्यायालय द्वारा तय सीमा के बराबर है। अगर सरकार कोटा बढ़ाने का फैसला करती है, तो 50 की तय सीमा का उल्लंघन होगा। इससे सरकार का फैसला कानूनी उलझन में फंस जाएगा। पिछले साल नागामोहन दास आयोग ने अनुसूचित जाति का आरक्षण 15 फीसदी से बढ़ाकर 17 फीसदी और अनुसूचित जन जाति का आरक्षण 3 फीसदी से बढ़ाकर 7.5 फीसदी करने की सिफारिश की थी।