एमएमसीआरआइ के डीन डॉ. सी. पी. नंजराज ने बताया कि ट्रायल के लिए बच्चों को लामबंद नहीं करना पड़ा। जैसे ही पीडियाट्रिक क्लिनिकल ट्रायल की खबर सामने आई, उत्सुक माता-पिता अपने बच्चों को स्वेच्छा से ट्रायल में शामिल करने के लिए संपर्क करने लगे। इस वर्ष छह जून को सबसे पहले 30 बच्चों को वैक्सीन लगी थी। देखते ही देखते बच्चों की संख्या 100 के पार हो गई। स्क्रीनिंग के बाद कुल 90 बच्चों को ट्रायल में शामिल किया गया। 10 बच्चे बेंगलूरु शहर से थे। अस्पताल ने ट्रायल के लिए बाल चिकित्सकों सहित अन्य चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों की विशेष टीम बनाई थी। टीकाकरण के बाद बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष निगरानी रखी गई।
एमएमसीआरआइ में बाल रोग विशेषज्ञ व ट्रायल दल के मुखिया डॉ. प्रदीन एन. ने बताया कि ट्रायल से पहले बच्चों को तीन आयु वर्गों में बांटा गया था। ऐसे बच्चों को चुना गया जिन्हें कभी भी कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं हुआ हो। यह सुनिश्चित करने के लिए एंटीबॉडी जांच भी की गई थी। ज्यादातर बच्चों में टीके के प्रतिकूल प्रभाव का कोई मामला सामने नहीं आया है। 12-18 आयु वर्ग के कुछ बच्चों को हल्का बुखार और हाथों में दर्द की शिकायत हुई थी, जो आम है।