किम्स हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट में थोरैसिस ऑर्गन ट्रांसप्लांट एंड असिस्ट डिवाइस के निदेशक डॉ. संदीप अट्टावर ने बताया कि एनेस्थिेटिस्ट डॉ. सनथ कुमार (Dr. Sanath Kumar) ने आइसीयू में कोविड के कई गंभीर मरीजों का उपचार कर उनकी जिंदगी बचाई है। लेकिन, इस दौरान वे खुद संक्रमित हो गए। बुखार और खांसी के लक्षणों के बाद सात मई को आरटी-पीआर में डॉ. कुमार पॉजिटिव निकले। उपचार के बावजूद उनकी हालत बिगड़ती गई। वे प्रतिरोधी हाइपोक्सिया (अचानक ऑक्सीजन स्तर बहुत कम होना) के शिकार हो गए।
ऑक्सीजन स्तर 60 फीसदी तक कम होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। उन्हें इस स्थिति में 21 मई को एस्टर सीएमआइ में भर्ती किया गया था। फेफड़े प्राकृतिक रूप से कम कर सकें इसके लिए उन्हें 28 मई से करीब चार सप्ताह तक एक्स्ट्रा-कॉरपोरियल मैम्ब्रेन ऑक्सीजेनेशन (इसीएमओ) डिवाइस (ECMO device) पर रखा गया। लेकिन, सुधार नहीं हुआ। डबल लंग ट्रांसप्लांट ही अंतिम विकल्प था। सौभाग्य से उन्हें मैचिंग डोनर मिल गया।
ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉ. श्रीवास्तव लोकेश्वरन ने बताया कि 22 जून को प्रत्यारोपण हुआ। सात सितंबर को अस्पताल से छुट्टी मिली। उन्होंने बताया कि कोविड के कारण फेफड़े खराब होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है।
डॉ. कुमार ने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन वे खुद संक्रमित होंगे और स्थिति प्रत्यारोपण तक पहुंच जाएगी। वे अपने परिवार के बीच लौट चुके हैं। संक्रमण से बचे रहने के लिए उनका ज्यादातर समय घर में ही बीत रहा है।