scriptकांग्रेस के लिए दक्षिण से निकल सकती है उत्तर की राह | karnataka election 2023 | Patrika News
बैंगलोर

कांग्रेस के लिए दक्षिण से निकल सकती है उत्तर की राह

जीत मिली तो मुख्य विपक्षी दल के तौर पर मजबूत होगी साखलोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की अग्निपरीक्षा

बैंगलोरApr 05, 2023 / 06:15 pm

Rajeev Mishra

कांग्रेस के लिए दक्षिण से निकल सकती है उत्तर की राह

कांग्रेस के लिए दक्षिण से निकल सकती है उत्तर की राह

बेंगलूरु.
पूर्वोत्तर में मिली हार के बाद कांग्रेस के लिए कर्नाटक विधानसभा चुनाव संजीवनी साबित हो सकता हैै। लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के पास मुख्य विपक्षी दल के तौर पर अपनी साख मजबूत करने का एक यह एक अच्छा अवसर भी है।
अगर चुनाव में कांग्रेस के माथे जीत का सेहरा बंंधता है, तो इसी साल के अंत में हिंदी हार्टलैंड में होने वाले चुनावों के लिए वह भाजपा के खिलाफ अपने अभियान को गति दे सकती है। कर्नाटक की जीत राजस्थान, मध्यप्र्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ाने वाला साबित होगी।
इस चुनाव में कांग्रेस के भविष्य के साथ उसकी प्रतिष्ठा भी दांव पर है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम.मल्लिकार्जुन खरगे राज्य से हैं। वे दलित समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं और दलित मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं। राज्य विधानसभा चुनावों में जीत से पार्टी में खरगे की स्थिति और मजबूत होगी। कांग्रेस की अंदरुनी कलह को देखते हुए पार्टी आलाकमान का मजबूत होना जरूरी है और अपने गृह राज्य में पार्टी की जीत सुनिश्चित कर खरगे अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं।
कांग्रेस पार्टी फिर एक बार स्थानीय नेतृत्व को ही आगे रखकर चुनाव लड़ रही है। जहां भाजपा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 7 चुनावी दौरे हो चुके हैं वहीं, अमित शाह और जेपी नड्डा भी कई बार आ चुके हैं। लेकिन, भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी ने अभी तक सिर्फ एक दौरा किया है। पार्टी सिद्धरामय्या और डीके शिवकुमार को ही आगे कर चुनाव लड़ रही है और स्थानीय मुद्दों को ही उठा रही है। कांग्रेस ने अभी तक 40 फीसदी कमीशन सरकार, पे-सीएम, आरक्षण आदि को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा पर हमला बोला है। पार्टी अभी तक भाजपा को दबाव में रखने में कायमाब नजर आती है।
कांग्रेस के लिए सकारात्मक पक्ष
मजबूत स्थानीय नेतृत्व कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत है। डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय का नेतृत्व करते हैं वहीं, सिद्धरामय्या कुरुबा समुदाय के बड़े नेता हैं। सिद्धरामय्या अहिंदा समीकरण (अल्पसंख्यक, हिंदू, दलित और पिछड़ा) को साधते हुए अहिंदा प्लस की कोशिश कर रहे हैं।
मल्लिकार्जन खरगे का कांग्रेस अध्यक्ष होना भी इस बार कांग्रेस के लिए एक सकारात्मक पक्ष है। वे राज्य में दलित मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं।
स्थानीय मुद्दे भाजपा को परेशान कर रही है। भाजपा नेतृत्व अथवा विकास के मुद्दे का राष्ट्रीय स्तर पर जवाब देना चाहती है। वहीं, कांग्रेस स्थानीय नेतृत्व और स्थानीय मुद्दों को हवा देकर भाजपा के सामने चुनौती पेश कर रही है।
सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ 40 फीसदी कमीशन सरकार या भ्रष्टाचार अभियान में कांग्रेस भाजपा पर हावी रही।
गारंटी कार्यक्रम भी कांग्रेस के लिए एक सकारात्मक कदम साबित हो सकते हैं। सभी घरों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली, हर परिवार की महिला मुखिया को 2 हजार रुपए मासिक सहायता, बीपीएल परिवार के प्रत्येक सदस्य को 10 किलो चावल मुफ्त, और हर स्नातक को 3 हजार या 1500 रुपए प्रति माह बेरोजगारी भत्ता एक बड़ी घोषणा साबित हो सकती है।
कांग्रेस के समक्ष चुनौतियां
-गुटबाजी और अंदरुनी कलह कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। खासकर प्रदेश अध्यक्ष डीकेे शिवकुमार और सिद्धरामय्या के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही खींचतान पार्टी के लिए एक बड़ी समस्या है। अन्य वरिष्ठ नेता जैसे डॉ जी. परमेश्वर, एच के पाटिल, के एच मुनियप्पा भी खुश नहीं हैं।
लिंगायत समुदाय के बीच अपने वोट आधार का विस्तार करना अभी भी कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। यह कांग्रेस की दूसरी बड़ी कमजोरी है।
पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इतना मजबूत नहीं है जो किसी बगावत की स्थिति में सभी को एकजुट रख सके।
कांग्रेस के सामने एक चुनौती अल्पसंख्यक मतदाताओं को एकजुट रखने की भी होगी।
मोदी फैक्टर और टिकट वितरण से पैदा संभावित असंतोष से कांग्रेस कैसे निपटेगी यह भी एक बड़ा सवाल है।
ओल्ड मैसूरु में जद-एस अपनी खोई जमीन को हासिल कर रहा है जो कि कांग्रेस के लिए एक सिरदर्द साबित हो सकता है।

Home / Bangalore / कांग्रेस के लिए दक्षिण से निकल सकती है उत्तर की राह

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो