scriptकर्नाटक चुनाव : दो माइनिंग मुगलों के बीच खिंची तलवार | Karnataka elections: fight between two mining Mughals in ballari | Patrika News
बैंगलोर

कर्नाटक चुनाव : दो माइनिंग मुगलों के बीच खिंची तलवार

बल्लारी सिटी में अनिल लाड और सोमशेखर रेड्डी के बीच कड़ी टक्कर

बैंगलोरMay 05, 2018 / 01:39 am

Sanjay Kumar Kareer

Karnataka, Assembly Election
बेंगलूरु. बल्लारी सिटी विधानसभा क्षेत्र से एक-दूसरे को चुनौती दे रहे दो माइनिंग मुगल अनिल लाड (कांग्रेस) और सोमशेखर रेड्डी (भाजपा) आपराधिक रिकॉर्ड में भी एक-दूसरे से पीछे नहीं है। अनिल लाड के खिलाफ 11 मामले दर्ज हैं, जिसमें से एक सीबीआई द्वारा बेलेकेरी बंदरगाह से लौह-अयस्क का अवैध निर्यात का भी एक मामला है। वहीं सोमशेखर रेड्डी पर 6 मामले दर्ज हैं और उसमें से एक बड़े भाई जनार्दन रेड्डी को जमानत दिलाने के लिए एक जज को रिश्वत देने का मामला शामिल है। इस बार दोनों दिग्गजों में कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है।
पिछले चुनाव में अनिल लाड ने श्रीरामुलू की पार्टी बीएसआर कांग्रेस के उम्मीदवार एस.मुरली कृष्ण को 18 हजार 200 मतों से पराजित किया था लेकिन इस बार चुनौतियां अलग हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 2 लाख 18 हजार मतदाता हैं। इनमें से 47 हजार अनुसूचित जाति (एससी), 35 हजार अनुसूचित जन जाति (एसटी, वाल्मीकि समुदाय), अल्पसंख्यक 40 हजार, बलजिगा 22 हजार, लिंगायत 20 हजार जबकि कम्मा, रेड्डी और शेट्टी 10-10 हजार हैं। इसके अलावा मारवाड़ी, सविता समाज, मराठी व कुछ अन्य समुदायों के भी मतदाता हैं।
लाड का दावा है कि बी.नागेंद्र के कांग्रेस में आने और बल्लारी ग्रामीण (सुरक्षित) से चुनाव लडऩे के कारण पूरे जिले में वाल्मीकि समुदाय के मतदाता कांग्रेस के पक्ष में एकजुट हुए हैं। वे अनुसूचित जनजाति के मतों को लेकर आश्वस्त हैं। दरअसल, नागेंद्र पिछली बार कुडलगी से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े और कांग्रेस के उम्मीदवार एस.वेंकटेश को 24 हजार 803 मतों से पराजित किया। लाड अजेय चुनावी गणित का दावा करते हुए कहते हैं कि उनके साथ अब एससी, एसटी, अल्पसंख्यक और बलजिगा समुदाय के मतदाता हैं। पिछली बार लाड से हारने वाले एस मुरलीकृष्ण बलजिगा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जो इस बार लाड के साथ खड़े हैं।
हालांकि, दूसरा पक्ष यह भी है कि लाड खिलाफ विधानसभा क्षेत्र में विरोधी लहर है। लोगों का दावा है कि उनसे संपर्क साधना बेहद मुश्किल हैं। वे लोगों से मिलते-जुलते नहीं और पहुंच से बाहर हैं। विधानसभा क्षेत्र में और अधिक गहराई तक पहुंचने पर एक और पहलू सामने आता है। दरअसल, पांच साल पहले रेड्डी बंधुओं की धन-बल के खिलाफ मतदाताओं में काफी आक्रोश था। तब श्रीरामुलू ने बीएसआर कांग्रेस लांच की थी और अपना उम्मीदवार मैदान में उतारा था जबकि सोमशेखर रेड्डी चुनावों से दूर रहे थे। भाजपा ने जिला अध्यक्ष जी.वीरुपाक्ष गौड़ा को अपना उम्मीदवार बनाया जो तीसरे पायदान पर चले गए थे। अब स्थितियां बदल चुकी हैं।
रेड्डी बंधुओं के खिलाफ आक्रोश की लहर काफी हद तक थम चुकी है और श्रीरामुलू ने जिले में बाल्मीकि समुदाय के बड़े नेता के तौर पर फिर से खुद को स्थापित किया है। अब सोमशेखर बतौर भाजपा उम्मीदवार मतदाताओं का विश्वास जीतने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले पांच वर्षों के दौरान भी उन्होंने तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी और आम जनता से मिलते-जुलते रहे हैं। कड़ी चुनौती को महसूस करते हुए लाड बेहद सूक्ष्म स्तर पर चुनावी प्रबंधन में लगे हैं लेकिन, देखना होगा कांटे की टक्कर में बाजी कौन मारता है।

Home / Bangalore / कर्नाटक चुनाव : दो माइनिंग मुगलों के बीच खिंची तलवार

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो