कई हाथियों को पकडऩे या बाघों को फंसाने और शांत करने सहित तलाशी अभियानों में अभिमन्यु की भूमिका बेहद अहम रही है। अभिमन्यु ने अब तक 140 से 150 हाथियों को पकडऩे में मदद की है और लगभग 50 बाघों को फंसाने और शांत करने में सहायता की है। कोई आश्चर्य नहीं कि वन विभाग काफी हद तक अभिमन्यु की क्षमता पर निर्भर है।
अभिमन्यु ने 2020 और 2021 में विजयदशमी जुलूस के दौरान स्वर्ण हौदा उठाया था। यह हौदा अत्यंत पवित्र माना जाता है क्योंकि इसमें देवी चामुंडेश्वरी को विराजित किया जाता है।
हाथी अर्जुन (63) को भी टीम में जगह मिली है। अर्जुन अपनी कमांडिंग कौशल और सम्मानजनक व्यवहार के लिए जाना जाता है। उसकी ऊंचाई 2.95 मीटर और लंबाई 3.75 मीटर है और उसका वजन लगभग 5,500 किलोग्राम से 5,870 किलोग्राम है। अर्जुन को 1968 के खेड़ा ऑपरेशन के दौरान काकानाकोट के जंगलों में पकड़ा गया था और उसने 22 मौकों पर दशहरा में हिस्सा लिया है, जिसमें से उसने 2012 से 2019 तक स्वर्ण हौदा उठाया।
सेवानिवृत्ति के कगार पर हाथी विक्रम (59) की ऊंचाई 2.89 मीटर और लंबाई 3.43 मीटर है और इसका वजन लगभग 3,820 किलोग्राम है। उसे 1990 में डोड्डाबेट्टा के जंगलों में पकड़ा गया था। उसने 19 बार मैसूरु दशहरा महोत्सव में भाग लिया है।
63 वर्षीस विजया दुबारे शिविर से संबंधित है। उसका वजन 3,250 किलोग्राम है और उसकी ऊंचाई 2.29 मीटर और लंबाई 3 मीटर है। जिन अधिकारियों ने उसके व्यवहार का दस्तावेजीकरण किया है, उनके अनुसार विजया 1963 में दुबारे में जंगल से पकड़ी गई थी। विनम्र और नरम स्वभाव की है और अब तक 13 मौकों पर मैसूरु दशहरा में भाग ले चुकी है।
हाथियों की नई पीढ़ी में भीम सबसे छोटा है और उसकी उम्र 22 साल है। वह पहले से ही अभिमन्यु के नक्शेकदम पर पर चल रहा है। उसका प्रशिक्षण जारी है। वह बाघों की तलाशी और हाथी पकडऩे के कार्यां में भाग लेता है। भीम का यह दूसरा दशहरा महोत्सव है।
हाथी महेंद्र (39) बल्ले हाथी शिविर से ताल्लुक रखता है और उसके लिए यह पहला दशहरा महोत्सव होगा। भीम की तरह, महेंद्र हाथियों को पकडऩे और बाघ की तलाश में भाग लेता है।
वरिष्ठों के सेवानिवृत्त होने के बाद सरकार दशहरा का हिस्सा बनने के लिए हाथियों की एक नई पीढ़ी को तैयार कर रही है। इनमें गोपालस्वामी, गोपी, धनंजय, कावेरी, लक्ष्मी, श्रीराम, पार्थसारथी और चैत्र शामिल हैं।