कर्नाटक एक्सप्रेस अब कप्तान के हवाले
बेंगलूरु मंडल की पहली ट्रेन
कर्नाटक एक्सप्रेस अब कप्तान के हवाले
बेंगलूरु. दक्षिण पश्चिम रेलवे के बेंगलूरु मंडल की ओर से मंडल की रेलगाडिय़ों में ट्रेन कप्तान योजना मंगलवार को शुरू की गई। मंडल रेल प्रबंधक आरएस सक्सेना ने मंगलवार शाम को केएसआर बेंगलूरु सिटी स्टेशन के एक नंबर प्लेटफार्म से कर्नाटक एक्सप्रेस ट्रेन को कप्तान के हवाले कर रवाना किया।
सक्सेना ने बताया कि यह व्यवस्था जल्द ही सभी रेलगाडिय़ों में शुरू की जाएगी। संभवत: एक सप्ताह में सभी रेलगाडिय़ों में कप्तान तैनात कर दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि योजना के अंतर्गत रेलगाड़ी में बेहतर प्रबंधन के लिए वरिष्ठ टिकट परीक्षक को नियुक्त किया गया है, जिसे ट्रेन कप्तान के रूप में जाना जाएगा। रेलगाड़ी में वह अन्य यात्री टिकट परीक्षकों से अलग तैनात रहेंगे और इनके अपने अधिकार सुरक्षित होंगे। वे रेलगाड़ी में तैनात कैटरिंग, लेनिन, ऑन बोर्ड हाउस कीपिंग, सफाईकर्मी, एसी मैकेनिक सहित पूरे स्टाफ के मुखिया होंगे।
उन्होंने बताया कि ट्रेन कप्तान इन सभी के कामकाज पर निगरानी रखेंगे। किसी भी यात्री को कोई भी सहायता या कोई शिकायत, समस्या होगी तो वे सीधे ट्रेन कप्तान को कर सकेंगे। उन्हें अलग अलग समस्या के लिए अलग अलग भटकना नहीं पड़ेगा। ट्रेन कप्तान की जिम्मेदारी उनकी समस्या सुनना और समाधान, सहायता करने की होगी। यात्रियों की सभी शिकायतों के लिए वे सिंगल प्वाइंट इंंटरेक्टर होंगे। कर्नाटक एक्प्रेस को कप्तान के हवाले करते समय रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।
छोटे स्टेशनों के कर्मियों का परिवार रहेगा बड़े स्टेशनों पर
बेंगलूरु. रेलवे अपने स्टाफ की परेशानियों का निराकरण प्राथमिकता से कर रहा है। छोटे स्टेशनों और फील्ड मेंं कार्यरत रेलकर्मियों की समस्याओं को ध्यान रखकर विभाग कई नीतिगत बदलाव कर रहा है।
रेलवे के अनुसार छोटे स्टेशनों तथा फील्ड में कार्यरत रेलकर्मियों के परिवार बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा अथवा अन्य किसी कारणों के चलते साथ रहने में असमर्थ हैं तथा अन्य स्थानों पर रह रहे हंै, तो विभाग उन्हें 50 से 100 किमी के दायरे में स्थित बड़े स्टेशन पर आवास सुविधा प्रदान करने का निर्णय किया है। ऐसे बड़े स्टेशनों को नोडल स्टेशन बनाया जाएगा। जोनल कार्यालय को नोडल स्टेशन तय करने के लिए अधिकृत किया है, ताकि योजना को सही तरीके से लागू किया जा सके। नोडल स्टेशनों पर खाली आवास पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर आवंटित किए जाएंगे। विभाग का मानना है कि योजना लागू होने पर रेलकर्मियों को अपने बच्चों की पढ़ाई, चिकित्सा अथवा अन्य वजहों से बड़े स्थान पर परिवार रखने पर आवास की चिंता से मुक्ति मिलगी। वे अधिक दक्षता से निश्चिंत होकर काम कर सकेंगे।
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