बताया गया है कि चारों सरकारी बस में बेंगलूरु से मेंगलूरु पहुंचे। वर्षिणी एक रिश्तेदार को कॉल कर पता पूछ रही थी। तभी बाकी बच्चे इधर-उधर भटकने लगे। चार बच्चों के लापता होने की खबरे अखबारों में और टीवी पर प्रसारित होने की जानकारी ऑटो चालकों को भी मिली थी। एक ऑटो चालक ने रिश्तेदार का पता बताने के बहाने चारों को ऑटो में सवार किया और सीधे पान्डेश्वर पुलिस थाने ले गया।
जांच से पता चला है कि चारों घर से 70 ग्राम जेवर, तीन हजार रुपए और अन्य जरूरी चीजें लेकर भागे थे। उनके लापता होने की जानकारी प्रदेश के सभी पुलिस थानों में थी।
बच्चों ने बताया कि उनके दोस्त छुट्टियों में घूमने जाते हैं लेकिन इनके माता-पिता कहीं घुमाने नहीं ले जाते और हमेशा पढ़ाई के लिए डांटते रहते हैं। इस कारण वे खुद घूमने के लिए घर से भागे थे।