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बैंगलोर

भाजपा सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार चरम पर : शिवकुमार

सरकार के मंत्रियों के बीच भ्रष्टाचार की होड़ लगी है

बैंगलोरAug 22, 2020 / 10:24 am

Sanjay Kulkarni

भाजपा सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार चरम पर : शिवकुमार

भाजपा सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार चरम पर : शिवकुमार

बेंगलूरु. कोरोना महामारी जैसी विषम स्थिति के बीच भाजपा सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है। सरकार के मंत्रियों के बीच भ्रष्टाचार की होड़ लगी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने यह बात कही।उन्होंने कहा कि विश्व के विभिन्न देशों में जहां वहां की सरकारों ने लोगों को नकद राशि मुहैया कर सहायता की वहीं हमारे देश में राहत के नाम पर 1 फीसदी ब्याज से ऋण उपलब्ध किया गया। केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए पैकेज की घोषणा तो कर दी लेकिन इस पैकेज से कौन लाभान्वित हुआ इसका जबाव केंद्र सरकार के पास नहीं है।
ऑटो तथा कैब चालकों को 5-5 हजार रुपए देने की घोषणा का लाभ कितने लोगों को मिला, इस सवाल का सरकार के पास जवाब नहीं है। इससे साबित होता है कि राज्य सरकार की ऐसी घोषणाएं केवल दस्तावेजों तक ही सिमित है।उन्होंने कहा कि कांग्रेस का संघर्ष केवल सत्ता के लिए नहीं है।
समाज के किसी भी वर्ग के साथ अन्याय होता है तब इस अन्याय के खिलाफ उठाना कांग्रेस का दायित्व है।उन्होंने कहा कि हाल में शहर के कुछ क्षेत्रों में हुए हिंसक प्रदर्शन के दौरान प्रशासनिक विफलताओं को छिपाने के लिए कांग्रेस नेताओं पर झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं। लेकिन कांग्रेस इससे कतई विचलित नहीं है। किसी समुदाय को अगर निशाना बनाया जाएगा तो कांग्रेस इसका पुरजोर विरोध करेगी।
किसानों को खाद की आपूर्ति सुनिश्चित करें

बेंगलूरु. उत्तर कर्नाटक के कई जिलों में यूरिया की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने से किसान परेशान हैं। लिहाजा राज्य सरकार को तुरंत आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने यह मांग की।उन्होंने यहां गुरुवार को कहा कि इससे पहले राज्य सरकार कोविड चिकित्सा केंद्रों को लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में विफल रही है। अब गदग, कोप्पल, यादगिर तथा बागलकोट जिलों में यूरिया नहीं मिलने के कारण किसान परेशान हैं।
कई जिलों में जानबूझकर कृत्रिम अभाव पैदा कर इसे ज्यादा दाम पर बेचकर किसानों को लूटा जा रहा है।उन्होंने कहा कि इस वर्ष राज्य के सभी जिलों में अच्छी बारिश होने के कारण 25 फीसदी अधिक बुवाई हुई है। जिसके परिणाम स्वरूप खाद की मांग बढ़ी है। अगर राज्य सरकार मांग के अनुपात में खाद की आपूर्ति नहीं कर सकती तो बुवाई पर रोक लगाई जानी चाहिए।
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